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धारा 370: जरूरत पड़ने पर श्रीनगर जा सकते हैं CJI, आजाद को मिली कश्मीर जाने की इजाजत

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद दाखिल हुई कई याचिकाओं पर सुनवाई की। जिसमें एमडीएमके के अध्यक्ष वाइको ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर याचिका दाखिल की थी। जिसपर अदालत ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर को नोटिस जारी किया। इसके अलावा कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक ने घाटी में समाचार पत्र निकालने को लेकर हो रही परेशानी पर याचिका दायर की थी। वहीं एक याचिका में दावा किया गया था कि घाटी के लोगों को चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल रही हैं।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे कश्मीर दौरा कर सकते हैं। सीजेआई का कहना है कि अगर लोग हाई कोर्ट नहीं पहुंच पा रहे हैं तो मामला काफी गंभीर है और वह खुद श्रीनगर जाएंगें। उन्होंने ये बात दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील द्वारा कश्मीर के लोगों के उच्च न्यायालय में पहुंचने में हो रही दिक्कत को लेकर लगाए गए आरोप पर कही। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने वकील को चेतावनी दी है कि यदि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट में आरोप सही नहीं पाए गए तो सुप्रीम कोर्ट उन पर जवाबदेही तय करेगा। गौरतलब है कि सभी याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा है।

मामलें में कोर्ट ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को चार जिलों की यात्रा करने की भी मंजूरी दे दी है। गुलाम नबी आजाद श्रीनगर, जम्मू, अनंतनाग और बारामुला का दौरा करेंगें ताकि वह अपने क्षेत्र के लोगों का हालचाल ले सकें। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस दौरान आजाद कोई भाषण नहीं देंगे और न ही कोई सार्वजनिक रैली करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कश्मीर में जल्द से जल्द सामान्य जीवन बहाल हो। साथ ही उसने इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखने को कहा है। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते में कश्मीर की पूरी तस्वीर सामने रखने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत और जम्मू-कश्मीर सरकार को मामले में एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा। कोर्ट ने अगली सुनवाई 30 सितंबर को करने के लिए कहा है।

समाचार पत्र के प्रकाशन को लेकर हो रही परेशानी वाले सवाल पर केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि कश्मीर के सभी समाचार पत्र चल रहे हैं और सरकार सभी प्रकार की सहायता दे रही है। सरकार ने यह भी कहा कि राज्य में एफएम नेटवर्क के साथ दूरदर्शन और अन्य निजी टीवी चैनल काम कर रहे हैं। इसके साथ ही पीठ ने केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा। केंद्र सरकार ने इस दौरान बताया कि कश्मीर में एक भी गोली नहीं चली है। कश्मीर के 88 प्रतिशत पुलिस थानों में प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। कुछ स्थानीय जगहों पर बैन लगे हुए हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कश्मीर में अगर तथाकथित बंद है तो उससे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट निपट सकता है।

कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की कथित हिरासत को लेकर दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा गया है। राज्यसभा सांसद वाइको ने इसे लेकर याचिका दायर की है। इस मामलें में कोर्ट ने केंद्र सरकार से अगली सुनवाई में जवाब देने को कहा है।

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