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बोधगया ब्‍लास्‍ट में कुछ इस तरह अंदर पहुँचे थे आतंकी, जानें पूरी कहानी

पटना। बोधगया बम ब्लास्ट मामले में सभी दोषियों को पटना एनआइए की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास का फैसला सुनाया है। इसके साथ ही 40-40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। लेकिन इस बीच एक सवाल आज भी लोगों के जेहन में बार-बार उठता है कि आखिर इतनी कड़ी सुरक्षा के बीच आतंकी मंदिर तक कैसे पहुंच गए?

सुबह के सैर के साथ शुरू हो गए थे धमाके

सात जुलाई 2013 की सुबह थी वह। रविवार होने की वजह से छुट्टी का इत्मीनान था। बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में सुबह की सैर करने पहुंचे लोगों की संख्या अन्य दिनों की तुलना में थोड़ी कम थी। सुबह के साढ़े पांच बजे होंगे। लोग आपस में बात करते हुए मंदिर की सीढिय़ों से उतरते-चढ़ते आगे बढ़ रहे थे। सैर ने अभी ठीक से रफ्तार भी नहीं ली थी कि तेज धमाका हुआ। लोग समझ नहीं पाए कि क्या हुआ कि तुरंत दूसरा धमाका हुआ। अब मामला समझ में आने को था कि तीसरा धमाका हुआ। लोग समझ चुके थे कि यह सीरियल ब्लास्ट है। आधे घंटे के भीतर दस धमाके हुए। मंदिर परिसर के अंदर और बाहर भी।

धमाके के दौरान बौद्ध भि‍क्षुओं ने की प्रार्थना

धमाकों के दौरान ही करीब सौ बौद्ध भिक्षुओं ने अपने आधे घंटे की प्रार्थना पूरी की थी। कुछ बौद्ध भिक्षु मंदिर परिसर में प्रवेश की तैयारी कर रहे थे। ब्लास्ट ने सबको बदहवास कर दिया। एक-एक कर जो धमाके हुए उनमें चार मंदिर परिसर में और छह परिसर के बाहर आसपास के इलाके में हुए। कुछ धमाके बोधि वृक्ष के पास भी हुए थे।

म्यांमार के बौद्ध भिक्षु 30 वर्षीय वालासागा व 60 वर्षीय तेनजिंग दोरजी ने तब मेडिटेशन शुरू ही किया था कि करीब में ही भयानक विस्फोट हुआ। वह तीन किलो का सिलेंडर बम था, जिसमें टीएनटी और अमोनियम नाइट्रेट भरा हुआ था। वालसागा की साधना भंग हो चुकी थी। एक क्षण तो उन्हें अहसास नहीं हुआ कि वह खुद भी जख्मी हो चुके हैं। हाथ में दर्द महसूस होते ही वह समझ चुके थे कि ब्लास्ट उनके आसपास ही हुआ है और वह चपेट में आ चुके हैं। उनके चेहरे और हाथ में चोट थी। बाद में ब्लास्ट में इस्तेमाल सिलेंडर को बोधि वृक्ष के पास से ही बरामद किया गया था।

वालसागा ने भागने की कोशिश की। मुख्य द्वार की ओर लपके, पर..। परिसर के भीतर पोर्टेबल मच्छरदानी लगाकर बैठे बौद्ध भिक्षुओं को भी तब तक ब्लास्ट का एहसास हो चुका था। मंदिर के एक हिस्से में लगे कांच का दीपदान ध्वस्त हो गया। मंदिर के बाहर मठ के समीप धमाके से छोटे बच्चे सहम गए थे। ऐहतियातन उन्हें बाहर निकलने से रोक दिया गया।

मंदिर तक कैसे पहुंच गए थे आतंकी

धमाके की खबर बोधगया से पटना पहुंची। फिर देश-विदेश में यह सवाल तेजी से उछला कि मंदिर परिसर में सिलेंडर बम लेकर आतंकी कैसे आ गए कि पुलिस को पता नहीं चल सका, जबकि वहां सीसीटीवी भी लगे हैं। गया के तत्कालीन एसपी का कहना था कि बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी की मांग पर परिसर में 38 गार्ड और 20 पुलिसकर्मी तैनात थे।

कयास लगाया गया कि परिसर की दक्षिणी चारदीवारी की ऊंचाई कम है। जरूर आतंकी उसी रास्ते से परिसर में आए होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी तत्काल बोधगया पहुंच गए। परिसर का मुआयना किया और डीजीपी एवं अन्य आला अधिकारियों के साथ परिसर में ही बैठक की। केंद्र सरकार से बात की और तफ्तीश के लिए एनआइए की टीम को बोधगया भेजने का आग्रह किया। विकास वैभव के नेतृत्व में एनआईए की टीम बोधगया पहुंची और फिर जांच आगे बढ़ी।

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