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जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन पर बोरिस जॉनसन ने 2022 के अंत तक वैक्सीन की एक अरब डोज़ मुहैया करने का किया एलान

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को कॉर्नवाल में जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन पर कहा कि दुनिया के नेताओं ने अगले साल के अंत तक गरीब देशों को कोविड-19 रोधी टीकों की एक अरब खुराकें मुहैया कराने का संकल्प जताया है.

जी-7 के सम्मेलन में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान के अलावा मेहमान देश के तौर पर दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने डिजिटल माध्यम से शिरकत की.

जॉनसन ने कहा नेताओं ने सीधे तौर पर या ‘कोवैक्स’ पहल के जरिए दुनिया के गरीब देशों को एक अरब खुराकों की आपूर्ति का संकल्प लिया है. इसमें ब्रिटेन द्वारा दी जाने वाली 10 करोड़ खुराकें भी शामिल हैं. दुनिया के टीकाकरण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है

जॉनसन ने ब्रिटेन में विकसित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की खास भूमिका को भी रेखांकित किया. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ‘कोविशील्ड’ नाम से इस टीके का उत्पादन कर रही है.

जॉनसन ने कहा ब्रिटेन सरकार की मदद से तैयार (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका) टीके से आज करीब 50 करोड़ लोग सुरक्षित हैं…और हर दिन यह संख्या बढ़ रही है. किफायती मूल्य पर दुनिया में इस टीके की बिक्री के कारण यह काफी लोकप्रिय है और इस्तेमाल करने में भी यह आसान है.

एस्ट्राजेनेका की उदारता के कारण दुनिया में गरीब देशों में करोड़ों लोगों तक टीके पहुंचाए जा रहे हैं. वास्तव में ‘कोवैक्स’ पहल में जितने टीकों की आपूर्ति हुई है उसमें 96 प्रतिशत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके थे

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर एडुकेशन’ की भी प्रशंसा की, जिसका लक्ष्य है कि दुनिया में प्रत्येक बच्चे को समुचित शिक्षा का मौका मिला.

ब्रिटेन ने भी इस संस्था को 43 करोड़ पाउंड की मदद दी. जॉनसन ने कहा मुझे गर्व है कि जी-7 के देश अगले पांच साल में चार करोड़ और बच्चियों को स्कूल पहुंचाने और प्राथमिक स्कूलों में दो करोड़ बच्चों को पहुंचाने पर राजी हुए और हमने इस सप्ताह इसके लिए शानदार शुरुआत की है

उन्होंने कहा कि इसी साल ब्रिटेन कोप 26 सम्मेलन की मेजबानी करेगा जिसमें जलवायु परिवर्तन से निपटने और आगामी पीढ़ी के लिए सुरक्षित भविष्य तैयार करने पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में जी-7 के देशों की 20 प्रतिशत भागीदारी है और हम इस पर और कदम उठाने के लिए सहमत हैं

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