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आज मिथुन संक्रांति जाने पौराणिक मान्यताओं के बारे में जाने शुभ मुहूर्त। ..

सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है. सालभर में 12 संक्रांति आती हैं जिनमें से मिथुन संक्रांति एक है. आज मिथुन संक्रांति है. मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य का वृषभ राशि से मिथुन राशि में गोचर होता है.

ज्येष्ठ माह में सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं जिस कारण इसे मिथुन संक्रांति कहा जाता है. इस दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव की आराधना से मानसिक बल और जीवन शक्ति बढ़ती है. सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. यह मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक माना गया है.

मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त
मिथुन संक्रांति तिथि- 15 जून 2021 (मंगलवार)
मिथुन संक्रान्ति पुण्य काल- सुबह 06:17 बजे से दोपहर 01:43 बजे तक
अवधि- 07 घंटे 27 मिनट
मिथुन संक्रांति महा पुण्य काल- सुबह 06:17 बजे से सुबह 08:36 बजे तक
अवधि- 02 घंटे 20 मिनट

सूर्य देव की पूजा विधि
सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें. इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहते हुए जल अर्पित करें. सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें. सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें.

सूर्य देव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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