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मध्य प्रदेश में एक कोरोना से ठीक हुए मरीज में दिखा ग्रीन फंगस

देश में कोरोना की दूसरी लहर भयावह रही और इसपर पर धीरे धीरे काबू हो रहा है. लेकिन इस बार कोरोना के दौरान ही एक नया इंफेक्शन सामने आया जिसे फंगस इंफेक्शन कहा गया.

ये कोरोना मरीजों में भी देखने को मिला था जिसका असर आंखो पर दिखाई दिया था. इसे ब्लैक, व्हाइट और येला फंगस नाम दिए गए लेकिन मध्य प्रदेश में एक कोरोना से ठीक हुए मरीज में ‘ग्रीन’ फंगस देखने को मिला है. डॉक्टर्स भी इसे एक नई चिंता बता रहे हैं .

मध्य प्रदेश के एक सीनियर डॉक्टर के हवाले से बताया गया कि यहां एक कोरोना सर्वाईवर में ग्रीन फंगस सामने आया है और ये संभवत: देश का पहला मामला है.

उन्होंने कहा शुरूआत में ब्लैक और व्हाइट फंगस मिलने के बाद नया इंफेक्शन ग्रीन फंगस सामने आया है.वहीं पिछले महीने ही एम्स चीफ रणदीप गुलेरिया ने फंगस को रंग वाले नाम देकर कंफ्यूजन पैदा करना बताया था.

मध्य प्रदेश के एक 34 वर्षीय मरीज ने दो महीने महामारी से लड़ाई लड़ी और ठीक हो गया . इस दौरान उसको नाक से खून बहने और बुखार की परेशानी हुई थी जिसके बाद आशंका जताई गई

उन्हें ब्लैक फंगस ने अपने शिकंजे में कस लिया है. लेकिन जब आगे टेस्ट हुए तो इस फंगस को ग्रीन फंगस पाया गया. ग्रीन फंगस की पहचान के बाद मरीज को इंदौर से मुंबई एयरलिफ्ट किया गया जहां उनका इलाज किया जाएगा.

इंदौर के श्री अरबिंदो चेस्ट डिसीज डिपार्टमेंट के मुख्य डॉ. रवि दोसी कहते हैं कि ये नया इंफेक्शन एसपरग्लोसिस इंफेक्शन है और इस फंगस पर और भी रिसर्च की जरूरत है. एसपरग्लोसिस फेफड़ों पर प्रभाव डालता है.

डॉ दोसी ने ये भी कहा कि ग्रीन फंगस मे इस्तेमाल होने वाली दवाईयां ब्लैक फंगस से अलग होती हैं. लेकिन उनका कहना है कि अलग अलग तरह के फंगल इंफेक्शन की कलर कोडिंग होनी चाहिए. लेकिन एम्स चीफ ये कह चुके हैं फंगस को किसी रंग का नाम देकर इसमें कंफ्यूजन पैदा न करें. गुलेरिया ने बात देश में येला फंगल केस सामने आने का बाद कही थी.

देश में कोरोना के साथ फैलने वाल ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित किया था. इसका असर मरीज की आंखो पर सबसे ज्याद पड़ रहा था, साथ ही ये नाक और दिमाग को भी प्रभावित करने के साथ ही फेंफड़ो तक भी पहुंच सकता है.

अब ग्रीन फंगस का मामला सामने आया जिस पर डॉक्टर्स का कहना है कि इसका स्वरूप बताता है कि ये फेफड़ों पर असर डालता है और ये चिंता का विषय है.

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