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बड़ी खबर: यूपी के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा, सीताजी का घड़े से जन्म लेना टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा कौशल विकास मिशन कार्यक्रम की तुलना करते-करते महाभारत तथा रामायण काल तक पहुंच गए। लखनऊ में इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में ही उन्होंने कहा कि तकनीक तो हमारे देश में पुरातन काल से रही है। इससे तो लगता है कि सीता जी का घड़े में जन्म लेना उस समय की टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक जैसा ही है।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जिस तरह कुरुक्षेत्र में धृतराष्ट्र के समक्ष महाभारत के युद्ध का सजीव वर्णन संजय ने हस्तिनापुर के महल में बैठकर किया, वही आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का लाइव टेलिकास्ट है। डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि भारत में तकनीक काफी पहले से मौजूद है। महाभारत और रामायण काल से ही भारत को तकनीक संपन्न देश बताया गया था। उन्होंने कहा कि आज के दौर में हम लाइव टेलीकास्ट से लेकर टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी तकनीक की बात करते हैं। यह तो हमारे देश में रामायण और महभारत काल में भी थीं। इनका उदाहरण भी देखने को मिलता है। 

जिस तरह कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध का सजीव वर्णन संजय ने हस्तिनापुर के महल में बैठकर किया, वही आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का लाइव टेलिकास्ट है। आज अगर हम विमान की बात करते हैं तो रामायण काल में पुष्पक विमान हुआ करता था। जिस पर सवार होकर भगवान श्रीराम वह लंका से अयोध्या पहुंचे थे। इसी तरह सीता जी का जन्म एक घड़े से होने का भी जिक्र है। जो आज की टेस्ट ट्यूब बेबी टेक्नोलॉजी है। जनक जी के हल चलाने पर जमीन से एक घड़ा निकला और उसमें सीता जी निकलीं।

वह कहीं न कहीं टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी टेक्नोलॉजी रही होगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, परमाणु परीक्षण और इंटरनेट जैसी तमाम आधुनिक प्रक्रियाएं पौराणिक काल में ही शुरू हुई थीं।  आज जिस गूगल को आप लोग हर विषय के जानकार के रूप में जानते हैं, महाभारत काल में यह काम नारद मुनि करते थे। वह कभी भी, कहीं भी पहुंच जाते थे और हर समस्या का समाधान कर देते थे. वह भी केवल तीन बार नारायण-नारायण, बोलकर।

 

डिप्टी सीएम ने कहा कि पत्राकारिता दिवस के मौके पर कई जिलों के कार्यक्रम में गया। वहां बहस छिड़ी हुई थी कि आज मीडिया कितना विकसित हो गया है। मैंने कहा कि यह आज की बात नहीं है, भारत में यह पौराणिक काल से ही मौजूद है। विदेशों में अगर यह तकनीक अब विकसित हुई तो अलग बात है। भारत में पत्रकारिता की शुरुआत महाभारत काल में ही हो गई थी। उन्होंने अपनी बात के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि पौराणिक पात्रों संजय और देवर्षि नारद को वर्तमान समय में सीधे प्रसारण और गूगल से जोड़कर देखा जा सकता है।

 

डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि हमारा तकनीकी ज्ञान काफी पुराना है। जिसका आधार था कौशल विकास। मसलन लोहार है तो लोहे का काम जनता था। बढ़ई है तो लकड़ी का काम जनता था। हर व्यक्ति का जो उसका कौशल था उसके अनुसार कार्यों का विभाजन था। उस विभाजन में कहीं न कहीं विकृति और विसंगति समय के साथ अंग्रेजी निति के कारण आई।

उन्होंने कहा कि कौशल विकास की अपार संभावनाएं भारत वर्ष में थी। हम अमेरिका जाएंगे, इंग्लैंड जाएंगे, जापान जाएंगे और जर्मनी जाएंगे। वहां रोजगार के लिए तकनीक जो देखेंगे वह हिंदुस्तान में पहले से ही मौजूद हैं। उसे सिर्फ आज प्रमोट करने की जरुरत थी। उस चीज को प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने देखा है।

नारद को बताया पहला पत्रकार

मथुरा में उन्होंने नारद को पहला पत्रकार भी बताया। हिंदी पत्रकारिता दिवस पर उन्होंने कहा कि पत्रकारिता कोई आधुनिककाल से ही शुरू नहीं हुई थी। यह महाभारत काल से चली आ रही है। 

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