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गरीब कल्याण अन्न योजना के गुजरात के लाभार्थियों से हुए नरेंद्र मोदी रूबरू कही ये बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के गुजरात के लाभार्थियों से रूबरू हुए. इस दौरान उन्होंने सरकार की अन्न योजना की कई खूबियां गिनाईं.

उन्होंने कहा कि इस योजना कोशिश ये है की देश का कोई गरीब भूखा ना सोए. इसके अलावा उन्होंने राज्य में जारी कोरोना वायरस के हालात और टीकाकरण के आंकड़ों पर भी चर्चा की. उन्होंने लोगों से भीड़ से बचने की अपील की.

पीएम मोदी ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के इस समय में ये मुफ्त राशन उनकी चिंता खत्म करता है…इस योजना कोशिश ये है की देश का कोई गरीब भूखा ना सोए.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने संक्रमण की आहट सुनकर पहले ही इसे पहचाना और कदम उठाया और इसकी हर मंच पर तारिफ हो रही है की भारत अपने गरीब परिवारों को मुफ्त राशन मुहैया करा रहा है.’

पीएम ने जानकारी दी कि मुफ्त गेंहू, चावल वितरण की योजना दिवाली तक जारी रहेगी. उन्होंने कहा, ‘आज 2 रुपए किलो गेहूं, 3 रुपए किलो चावल के कोटे के अतिरिक्त हर लाभार्थी को 5 किलो गेहूं

और चावल मुफ्त दिया जा रहा है. यानि इस योजना से पहले की तुलना में राशनकार्डधारियों को लगभग डबल मात्रा में राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. ये योजना दिवाली तक चलने वाली है.’

पीएम ने खिलाड़ियों का उदाहरण देकर गुजरात की जनता से आत्मविश्वास रखने की अपील की है. उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों का जोश, जुनून और जज़्बा आज सर्वोच्च स्तर पर है.

ये आत्मविश्वास तब आता है जब सही टैलेंट की पहचान होती है, उसको प्रोत्साहन मिलता है. ये आत्मविश्वास तब आता है जब व्यवस्थाएं बदलती हैं, पारदर्शी होती हैं. ये नया आत्मविश्वास न्यू इंडिया की पहचान बन रहा है.

पीएम ने कहा, ‘इसी आत्मविश्वास को हमें कोरोना से लड़ाई में और अपने टीकाकरण अभियान में भी जारी रखना है. वैश्विक महामारी के इस माहौल में हमें अपनी सतर्कता लगातार बनाए रखनी है.’

पीएम ने कहा कि एक दौर था की जब विकास केवल बड़े शहरों तक सिमित रहता था वो भी खास इलाकों में ,गांव कस्बों से दूर सामान्य आदमी सुविधाओं से दूर रहा और उसे विकास माना गया.

आज देश इनफ्रास्ट्रक्चर पर लाखों करोड़ खर्च कर रहा है, लेकिन साथ ही, सामान्य मानवी के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए, ईज ऑफ लिविंग के लिए नए मानदंड भी स्थापित कर रहा है.

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही करीब-करीब हर सरकार ने गरीबों को सस्ता भोजन देने की बात कही थी. सस्ते राशन की योजनाओं का दायरा और बजट साल दर साल बढ़ता गया, लेकिन उसका जो प्रभाव होना चाहिए था, वो सीमित ही रहा.

इस दौरान उन्होंने कहा कि अन्न वितरण की व्यवस्था 2014 के बाद से बेहतर हुई है. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने कहा कि देश के खाद्य भंडार बढ़ते गए, लेकिन भुखमरी और कुपोषण में उस अनुपात में कमी नहीं आ पाई.

इसका एक बड़ा कारण था- प्रभावी डिलिवरी सिस्टम का ना होना. उन्होंने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए साल 2014 के बाद नए सिरे से काम शुरू किया गया.’

खाद्य सुरक्षा के लिए बीते साल 948 कोविड के दौरान मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया था. यह आंकड़ा आम वर्षों की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा है. गुजरात में 3.3 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों को 25.5 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद्यान्न मिला. इसके अलावा 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक एक राष्ट्र एक राशन कार्ड नीति लागू कर हो चुकी है.

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