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कांग्रेस नेता बोले- केजरीवाल पर नहीं किया जा सकता है विश्वास

दिल्ली में अपनी खिसकती सियासी जमीन को बचाने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) कांग्रेस के साथ चुनावी गठजोड़ करने को व्याकुल नजर आ रही है। उसने कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव में तीन सीटें देने का प्रस्ताव दिया था जिसे कांग्रेस नेताओं ने सिरे से ठुकरा दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी किसी भी सूरत में दिल्ली में छोटे साझेदार की भूमिका निभाने को तैयार नहीं है।

 

सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस पर दबाव 

बताया जाता है कि इससे परेशान ‘आप’ नेताओं ने कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। ‘आप’ नेता दिलीप पांडे का ट्वीट भी इसी का हिस्सा है जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस दिल्ली में एक सीट मांग रही है। उनका यह दांव उल्टा पड़ गया है। इससे नाराज कांग्रेस नेताओं ने उसी अंदाज में पलटवार करना शुरू कर दिया है।

केजरीवाल के सामने हैं मुश्किल हालात 

नगर निगम चुनाव और राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार तथा देश के अन्य हिस्सों में ‘आप’ उम्मीदवारों की जब्त हो रही जमानत से केजरीवाल के सामने अपनी सियासी जमीन को बचाना बड़ी चुनौती है। ऐसे में भाजपा विरोधी पार्टियों के एक मंच पर लाने की कवायद में इन्हें भी कुछ उम्मीद की किरण दिख रही है। इसी उम्मीद से कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमार स्वामी के शपथग्रहण समारोह में केजरीवाल भी वहां पहुंचे थे, लेकिन मंच पर इन्हें खास तवज्जो नहीं मिली थी। इसके बावजूद इन्होंने अपनी कोशिश नहीं छोड़ी। इसी उम्मीद से ‘आप’ ने दिल्ली की सात में से पांच संसदीय सीटों पर अपने प्रभारियों की घोषणा की है। कहा जा रहा है कि घोषित प्रभारी ही इन सीटों से चुनाव लड़ेंगे। यानी की दो सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं।

कांग्रेस की बड़ी भूमिका 

‘आप’ सूत्रों का कहना है कि इस ऑफर को लेकर पार्टी के कुछ नेता कांग्रेस के बड़े नेताओं से मिले थे, लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद पार्टी एक और सीट छोड़ने को तैयार है, फिर भी बात नहीं बन रही है। कांग्रेसियों ने स्पष्ट कर दिया है कि चार-तीन के फार्मूले पर ही कोई बात आगे बढ़ेगी, क्योंकि ‘आप’ का जनाधार दिल्ली व पंजाब के सिवाय कहीं नहीं है। दूसरी ओर कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है इसलिए दिल्ली मेें वह बड़ी भूमिका में रहना चाहती है।

 

‘आप’ को जनता ने नकार दिया 

वहीं, पांडे व कुछ अन्य नेताओं के ट्वीट से कांग्रेसियों की नाराजगी और बढ़ गई है। इसलिए उन्होंने भी केजरीवाल व उनके साथियों को उसी अंदाज में जवाब देना शुरू कर दिया है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने सीधे तौर पर कहा है कि जिसे दिल्ली की जनता नकार दी है उसके साथ हम कैसे गठबंधन कर सकते हैं।

दिल्ली में होगा बुरा हाल 

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अरविंद सिंह लवली का कहना है कि पंजाब के शाहकोट विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में ‘आप’ को अपनी जमीन का अहसास हो गया है। जिस विधानसभा में उसे 44 हजार वोट मिले थे वहां डेढ़ वर्ष बाद मात्र उसके उम्मीदवार को दो हजार लोगों ने भी समर्थन नहीं दिया है। इनका पंजाब से भी बुरा हश्र दिल्ली में होगा।

 

केजरीवाल पर विश्वास नहीं किया जा सकता

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष जेपी अग्रवाल का भी कहना है कि केजरीवाल पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। पहले वह पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व अन्य कांग्रेस नेताओं को गाली देते थे। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीचा दिखाने के लिए मनमोहन सिंह की तारीफ कर रहे हैं। 

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