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जन्मदिन पर CM योगी आदित्यनाथ को बधाइयों का तांता, 26 वर्ष की उम्र में बने थे सांसद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आज उनके 46वें जन्मदिन पर बधाईयों का तांता भले ही लगा है, पर वह अपने नाम में लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही भाजपा के शीर्ष नेताओं तथा प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने आज उनको जन्मदिन पर बधाई दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले योगी आदित्यनाथ महज 26 वर्ष की उम्र में पहली बार सांसद बने थे। गुरु महंत अवैद्यनाथ के बाद वह गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी से सांसद बने थे।

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के छोटे से गांव पंचूर के राजपूत परिवार में जन्मे अजय सिंह बिष्ट ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में ही सांसारिक मोह माया त्याग कर संन्यासी का जीवन धारण कर लिया। इसके बाद अजय सिंह बिष्ट से नाम बदलकर योगी आदित्यनाथ कर लिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद उनकी गोरखपुर के गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर से यात्रा शुरू हुई। उन्होंने अपने साथ युवाओं को जोड़कर हिंदू युवा वाहिनी बनाई। इसके बाद संसद पहुंचे। आज योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को पौड़ी जिले पंचूर गांव में हुआ। इसके बाद वहां उनकी स्थानीय स्कूल में शुरुआती पढ़ाई-लिखाई हुई। कोटद्वार के गढ़वाल यूनिवर्सिटी से उन्होंने गणित विषय के साथ बीएससी की पढ़ाई की और इसी दौरान एबीवीपी से जुड़े। 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान योगी आदित्यनाथ अपने गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च करने गोरखपुर आए। यहां गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ की नजर उन पर पड़ी। हर काम में योगी आदित्यनाथ की चपलता महंत अवैद्यनाथ को बहुत पसंद आई और फिर उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

अगले ही वर्ष यानी 1994 में वह सारी सांसारिक मोहमाया त्यागकर पूर्ण संन्यासी बन गए। अजय सिंह बिष्ट से अपना नाम बदलकर उन्होंने योगी आदित्यानाथ रख लिया। इसके बाद उनके जीवन की राजनीतिक पारी भी शुरू हो गई। 1998 में महज 26 साल की उम्र में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1999 में वो फिर चुनावी दंगल में उतरे और जनता ने भारी मतों से लोकसभा में पहुंचाया।

योगी आदित्यनाथ लगातार वर्ष 2004, 2009 व 2014 में गोरखपुर से सांसद रहे। वर्ष 1999 में दोबारा सांसद चुने जाने के बाद योगी आदित्यनाथ का कद खासकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बढ़ता गया और धीरे-धीरे कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि जनमानस में बनने लगी। इसी बीच वर्ष 2002 में उन्होंने ‘हिन्दू युवा वाहिनी’ नाम का संगठन बनाया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। इस बीच गोरखपुर को योगी के गढ़ के तौर पर जाने जाना लगा। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए और इन दंगों में योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया। उनकी गिरफ्तारी हुई और इस पर देशभर में कोहराम मच गया। वर्ष 2008 में योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हमला हुआ।

करीब सौ लोगों की हिंसक भीड़ ने उन्हें घेर लिया था और वे किसी तरह वहां से बचकर निकले। हमले को लेकर हिंदू युवा वाहिनी ने प्रदेश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया। 2009) में एक बार फिर उन्होंने लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की। इस बार उनकी जीत का अंतर 2 लाख से ज्यादा वोट का था। 2014 में पांचवीं बार सांसद चुने गए और इस बार भी जीत का अंतर दो लाख से ज्यादा का था। पांचवीं बार लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में योगी आदित्यनाथ का कद बहुत बढ़ गया। प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए। चुनाव में लंबे अंतराल के बाद भाजपा सत्ता में लौटी। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए योगी के नाम की चर्चा तक नहीं थी, लेकिन अचानक पार्टी ने उनका नाम प्रस्तावित किया। जिसके पीछे उनकी हिंदुत्ववादी छवि और कद्दावर शख्सियत थी। 

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