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दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकराई एलएलबी प्रवेश परीक्षा हिंदी में कराने की मांग

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) द्वारा आयोजित की जाने वाली एलएलबी की प्रवेश परीक्षा हिंदी में कराने की मांग दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकरा दी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बीए तृतीय वर्ष के एक छात्र की याचिका पर सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व सी हरिशंकर की मुख्य पीठ ने विधि प्रक्रिया और कानूनी कार्रवाई को लेकर मुख्य नियमावली को इसी मामले में रखते हुए याचिका खारिज कर दी। इससे पहले वर्ष 2014 में हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने एकल बेंच के फैसले को खारिज करते हुए हिंदी में प्रवेश परीक्षा कराने की मांग खारिज की थी।

याचिकाकर्ता छात्र आयुष तिवारी (20) ने व्यक्तिगत तौर पर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एलएलबी की प्रवेश परीक्षा अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी कराने की मांग की थी। आयुष ने कहा कि वह विधि की पढ़ाई करना चाहते हैं और अब तक सभी परीक्षाएं उन्होंने हिंदी माध्यम से दी हैं। ऐसे में डीयू को हिंदी में प्रवेश परीक्षा का आयोजन करना चाहिए।

वहीं डीयू का पक्ष वकील मोहिंदर जेएस रूपल व प्रांग न्यूमई ने रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि एलएलबी की सेमेस्टर परीक्षाएं हिंदी में देने की अनुमति है, क्योंकि उसमें निबंध की तरह के सवाल होते हैं। ऐसे में संभव है कि छात्र अंग्रेजी में सवाल समझ लें, लेकिन उसे हिंदी में लिखने में असमर्थ हों। प्रवेश परीक्षा में वैकल्पिक प्रश्न होते हैं, जिसे छात्र आसानी से समझ सकते हैं।

मोहिंदर जेएस रूपल ने सवाल उठाया कि अगर कोई छात्र अंग्रेजी लिख और समझ ही नहीं सकता तो वह अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध किताबों व केस मटेरियल कैसे पढ़ेगा। उन्होंने 2014 में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय पीठ की टिप्पणी का हवाला दिया, जिसमें खंडपीठ ने कहा था कि अदालत इस तथ्य पर अपनी आंख नहीं बंद कर सकती कि विशेष तौर पर दिल्ली की अदालतों की भाषा अंग्रेजी है और यहां तक की हाई कोर्ट के न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीशों के अन्य राज्यों के हस्तांतरण की वर्तमान नीति की वजह से अंग्रेजी भाषा का उपयोग जरूरी है, जोकि हिंदी भाषा में संभव नहीं है।

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