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पुलिस वेरिफिकेशन के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय से पीएचक्यू सहमत नहीं

विदेश मंत्रालय द्वारा पासपोर्ट निर्माण के लिए शिथिल किए गए पुलिस वेरिफिकेशन संबंधी नियमों से पुलिस मुख्यालय इत्तेफाक नहीं रखता। इस संबंध में पुलिस ने कुछ सवाल उठाए हैं। मामले में जल्दी ही पुलिस की खुफिया विंग और मंत्रालय के अफसर आपस में विचार विमर्श करेंगे। मंत्रालय की मंशा है कि आपराधिक मामलों और राष्ट्रद्रोह से जुड़े मुद्दों को छोड़ सामान्य प्रकरणों में ढिलाई बरती जाए।

विदेश मंत्रालय ने हाल ही में पासपोर्ट निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाते हुए पुलिस वेरिफिकेशन के नियमों में बदलाव किया है। इस मामले में पुलिस मुख्यालय की राय कुछ अलग है। पासपोर्ट आवेदकों की सुविधा के लिए अब 9 बिंदुओं (एनेक्सेस) की संख्या घटाकर 5 कर दी गई है। इसमें खास बात यह है कि अब आपराधिक प्रकरणों और कोर्ट में चल रहे मामलों पर विशेष फोकस किया जाएगा। आवेदन में अब सिंगल पेरेंट्स का नाम मान्य होगा। तलाक और अनाथ बच्चे के मामले में भी नियम सरल कर दिए गए हैं।

आधार से वेरिफिकेशन : पुलिस वेरिफिकेशन के लिए पहले की तरह पड़ोस के दो लोगों का रेफरेंस देना अब आवश्यक नहीं रहा। इसमें दिक्कत यह थी कि कई बार पड़ोसियों को अवगत कराना भूल गए और पुलिस को सही जानकारी नहीं मिली तो एडवर्स पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट आ जाती थी, जिससे आवेदक अनावश्यक परेशान होता था। इसलिए अब आधार नंबर से ही वेरिफिकेशन कर लिया जाएगा। आपराधिक व कोर्ट संबंधी मामलों के अलावा यदि संबंधित व्यक्ति से राष्ट्रहित को खतरा है तो इस पर पुलिस गहन जांच के बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट देगी।

तो कोर्ट की अनापत्ति लगेगी : विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यदि आवेदक पर आपराधिक प्रकरण अथवा कोर्ट में मामले लंबित हैं तो पासपोर्ट के लिए कोर्ट की अनापत्ति आवश्यक रहेगी। ऐसे प्रकरण में कोर्ट ही तय करता है कि आवेदक को कितनी अवधि का पासपोर्ट इश्यू किया जाए। यदि कोर्ट ने अवधि नहीं बताई तो पासपोर्ट केवल एक साल का ही बनेगा। इसे ‘शार्ट टर्म पासपोर्ट’ कहते हैं। आवेदन में यदि आपराधिक प्रकरण का जिक्र नहीं दिया तो उस पर पेनाल्टी का प्रावधान और अन्य कार्रवाई भी तय है।

इन्हें नहीं चाहिए पीवीआर : पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट (पीवीआर) डिप्लोमेटिक और ऑफिशियल श्रेणी के आवेदकों को जरूरी नहीं रहती। बच्चों के मामलों में भी अभिभावकों के दस्तावेज ही मान्य होते हैं।

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