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इस दुनिया के बाहर भी दबदबा कायम करने की तैयारी में अमेरिका, ट्रंप बनाएंगे ‘स्पेस फोर्स’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा मुख्यालय पेंटागन को नया अमेरिकी स्पेस फोर्स तैयार करने का आदेश दिया है. अमेरिकी सेना की यह छठी शाखा होगी और अंतरिक्ष में अमेरिकी दबदबे को सुनिश्चित करेगी.

ट्रंप ने कहा, ‘मैंने रक्षा विभाग और पेंटागन को सैन्य बलों की छठी शाखा के तौर पर स्पेस फोर्स तैयार करने की आवश्यक प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास एयर फोर्स है, लेकिन हम अलग स्पेस फोर्स का गठन करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.’

ट्रंप ने कहा, ‘अमेरिका की रक्षा की बात आती है तो अंतरिक्ष में अमेरिकी मौजूदगी ही काफी नहीं है, अंतरिक्ष में हमारा दबदबा भी होना चाहिए.’ स्पेस फोर्स या अंतरिक्ष बल की भूमिका के बारे में अभी विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध नहीं है.

नेशनल स्पेस काउंसिल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सोमवार को ट्रंप ने वाणिज्यिक यातायात की निगरानी के माध्यम से अंतरिक्ष में अमेरिकी हितों की रक्षा करने की इस योजना की घोषणा की. उन्होंने कहा, ‘ यह योजना न सिर्फ रोजगार के लिहाज से बेहतरीन है बल्कि हर तरह से अच्छी है. यह हमारे देश के मनोविज्ञान के लिए बहुत अच्छा है.’

गौरतलब है कि ट्रंप पहले भी स्पेस फोर्स यानी अंतरिक्ष सैन्य बल के गठन की मंशा जता चुके हैं. ट्रंप के ऐलान को अमेरिका में क्लिंटन युग की ईमानदार शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल के दौरान अंतरिक्ष खोज पर काफी जोर रहा था.

संभावित जंग की तैयारी

बताया जा रहा है कि अमेरिका की यह स्पेशल फोर्स स्पेस वॉर के साथ ही अंतरिक्ष में लड़ी जाने वाली किसी भी संभावित जंग के लिए तैयार रहेगी. अंतरिक्ष में दूसरे देश के खिलाफ जवाबी कार्रवाई और सैन्य प्रशिक्षण मिशन के बाद निगरानी में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी वायु सेना की एक शाखा के तहत यूएस स्पेस कमांड के पास सैन्य स्पेस ऑपरेशंस का पूरा नियंत्रण होगा.

अमेरिकी नीति निर्माता चिंतित

हालांकि, न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की इस घोषणा को लेकर अमेरिकी प्रशासन के कुछ अधिकारी चिंतित नजर आ रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप के इस आइडिया को नीति निर्माता परेशानी का सबब मान रहे हैं. प्रशासनिक अफसरों को चिंता है कि इससे बेवजह का प्रशासनिक भार बढ़ेगा, जबकि सैन्य मामलों को लेकर पहले से ही सरकार पर काफी भार है.

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