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बिहार के बाजारों में बेमोल हुए करोड़ों के सिक्के, कोई लेने को नहीं तैयार …जानिए मामला

सरकार व रिजर्व बैंक माने या न मानें, बाजार में सिक्कों का कोई मोल नहीं है। मुंशी के झोले और साहूकार के बोरे में बंद सिक्के कब चलन में आएंगे, इसका इंतजार है। जिससे पूछिए वही रो रहा है।

बाजार में सिक्का निकालते ही दुकानदार ना कहता है। गांव में फेरी लगाने वालों का तो धंधा ही चौपट हो गया है। इसका बड़ा असर छोटे-मोटे दुकानदारों पर पड़ा है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में सिक्के को लेकर कई व्यवसाय प्रभावित होंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक धारक को सिक्के के रूप में उस राशि की अदायगी का वचन देता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से यहां के बाजार सहित आसपास के जिलों में सिक्के चलन से बाहर हो गए हैं। एक रुपये से लेकर 10 रुपये तक के सिक्के लेने से हर किसी को परहेज है। नतीजा जिनके पास सिक्के आए, उनका बोझ बढ़ता गया। इसमें बैंकों की भी भूमिका है। बैंकों ने भी सिक्का लेना लगभग बंद ही कर दिया है।

बड़े बाजार में बैठे साहूकार भी छोटे दुकानदारों से नोट की डिमांड कर रहे हैं। सिक्के का विनिमय नहीं होने से छोटे दुकानदार प्रभावित हो रहे हैं। पुलिस लाइन मार्ग पर फेरी लगाने वाले किशन कहते हैं कि 50 रुपये का सिक्का भी हो तो बड़का दुकानदार नहीं लेगा, नोट लाकर कहां से फेरी करें।

बैंकों की भी मजबूरी

कई बैंकों की शाखाओं में सिक्कों पर बातचीत की गई तो ब्रांच के अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि कोई बैंक सिक्कों का डंपिंग सेंटर नहीं है। हम सिक्का लेते हैं, लेकिन हमसे कोई ग्राहक सिक्का नहीं लेता। बैंक ने भी अपने रेगुलर खाताधारकों को एक लिमिट के तहत सिक्का जमा करने की छूट दी है। सामान्य खाताधारक पूरा का पूरा सिक्का जमा करना चाहते हैं। यह संभव नहीं है। जब सिक्का गिनने की मशीन आ जाएगी, तभी कुछ निदान निकलेगा। वैसे बैंक सभी सिक्कों को स्वीकार्य करता है।

व्यवसायियों की परेशानी

छोटे-बड़े बाजारों में एक रुपये से लेकर दस रुपये तक के सिक्के पड़े हैं। इनकी शिकायत है कि बैंक सिक्का नहीं लेता है। व्यवसायी की मजबूरी है कि जाए तो कहां जाए। हर काम अब ऑनलाइन और मोबाइल से हो रहा है। पैसे का ट्राजेक्शन भी अब एटीएम और नई तकनीक से होता है। वैसे में सिक्का बैंक नहीं लेगा तो हम क्या करें। छोटे दुकानदारों से सिक्का लेकर कितना जमा करें?

एक रुपये का छोटा सिक्का भिखारी भी नहीं ले रहा

बाजार की स्थिति सिक्का विनिमय को लेकर इतनी खराब हो गई है कि छोटे आकार का एक रुपये का सिक्का कोई नहीं लेता। भिखारियों ने भी उसे खोटा करार दिया, जबकि यह गलत है। एक रुपये का छोटा-बड़ा सिक्का सर्वमान्य है। इसे नकारा नहीं जा सकता।

सभी सिक्के मान्य हैं 

स्‍टेट बैंक गया के क्षेत्रीय प्रबंधक अनूप कुमार सिन्‍हा कहते हैं कि रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक रुपये से लेकर 10 रुपये तक के सभी सिक्के मान्य हैं। सिक्कों का लेन-देन में कोई रुकावट और पाबंदी नहीं है। एक रुपये के छोटे सिक्के से लेकर बड़े सिक्के तक बाजार में लेने है और बैंक भी इसे स्वीकार्य करता है।

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