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MP में किसान आंदोलन से पहले सीएम शिवराज ने दिए नई योजना के संकेत

इंदौर: फसलों का लाभकारी मूल्य दिला, जाने की प्रमुख मांग को लेकर एक जून से देश भर में शुरू होने वाले 10 दिवसीय किसान आंदोलन से पहले एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कृषि क्षेत्र की नई योजना के संकेत दिए हैं. इस प्रस्तावित योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ उत्पादन के लिहाज से फसलों का वाजिब मूल्य दिए जाने का खाका तैयार किया जा रहा है. लेकिन उन्होंने इस योजना का विवरण नहीं दिया. बता दें कि एमपी में किसानों मौजूदा सरकार के प्रति किसानों में नाराजगी है. राज्य के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत और बढ़ती आत्महत्याओं समेत किसानों की फसलों का उचित मूल्य जैसे कई मुद्दे हैं.

सीएम चौहान ने रविवार रात यहां कृषि क्षेत्र पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “मैं किसानों के साथ बैठूंगा और तय करूंगा कि क्या ऐसा भी किया जा सकता है कि उन्हें प्रति एकड़ पैदावार के हिसाब से फसलों का उचित मूल्य दे दिया जाए.” हालाकि, उन्होंने इस प्रस्तावित योजना का विस्तृत विवरण नहीं दिया. लेकिन कहा कि इस प्रयोग से छोटे किसानों को खास फायदा सुनिश्चित होगा, क्योंकि आर्थिक आवश्यकताओं के चलते वे फसलों का लंबे समय तक भंडारण नहीं कर पाते. कटाई के तुरंत बाद उपज बेचने की वजह से उन्हें अक्सर फसलों का वाजिब मूल्य नहीं मिल पाता.

फसलों के बेहतर दाम देने को लेकर चिंता

सीएम चौहान ने कहा, “मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि किसानों को उनकी फसलों के बेहतर दाम किस तरह दिए जाए. मैं उन्हें उनके पसीने की पूरी कीमत देना चाहता हूं. इसके लिए हमने भावांतर भुगतान योजना जैसे नवाचार किए हैं.”

40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधाएं पहुंचाई

सीएम चौहान ने यह भी बताया कि उनकी अगुवाई वाली सरकार ने पिछले 12 सालों में राज्य के 40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधाएं पहुंचा दी हैं. इससे पहले यह सिंचित रकबा केवल 7.5 लाख हेक्टेयर के स्तर पर था.

80 लाख हेक्टेयर तक सिंचाई बढ़ाने की तैयारी

मुख्यमंत्री ने कहा, “अब हमने प्रदेश के सिंचित रकबे को बढ़ाकर 80 लाख हेक्टेयर तक ले जाने की योजना का खाका तैयार किया है. इसके लिए छोटे-बड़े बांध बनाने, नदियों को जोड़ने और अन्य योजनाओं में 1.10 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि कई बार बाजार की आवश्यकता से अधिक उत्पादन के चलते किसानों को उनकी फसलों के वाजिब दाम नहीं मिल पाते. लिहाजा प्रदेश सरकार अब विस्तृत अध्ययन के बाद किसानों को यह सलाह भी देगी कि अच्छे दाम पाने के लिए उन्हें कौन-सी फसल कब बोनी चाहिए.

किसानों को छोटे खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र में मदद

मुख्मंत्री ने यह भी कहा कि किसानों को अपने खेतों के पास छोटे खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र लगाने के लिए सरकारी मदद दी जाएगी. इसके साथ ही, केंद्र सरकार के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की तर्ज पर कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में सरकारी बोर्ड का गठन किया जाएगा. 

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