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तीन तलाक के बाद शौहर ने बनाया हलाला के लिए दबाव…

तीन तलाक पीड़िता पर शौहर हलाला के लिए दबाव बना रहा है। उसकी इस शर्त के खिलाफ पीड़िता ने उसे सबक सिखाने की ठान ली है। पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर उसने शौहर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई किए जाने की गुहार लगाई है। उसका कहना है हलाला तो तीन तलाक से भी कहीं ज्यादा तकलीफदेह है। सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए कानून बनाना चाहिए। अपर पुलिस अधीक्षक नगर डा. एके पांडेय ने कहा कि एेसा कोई प्रार्थना पत्र नहीं मिला है। पीड़िता सीधे कार्यालय आकर मुझसे मिलकर प्रार्थना पत्र दे। हलाला के लिए दबाव बनाने वाले शौहर के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गुजारा भत्ता के मुकदमे की पैरवी के लिए अपने तीन नाबालिग बच्चों को लेकर दीवानी न्यायालय आई खेतासराय निवासी तीन तलाक पीड़िता ने अपना दुखड़ा सुनाया। उसका आरोप है कि तलाक दे चुका शौहर समीउल्लाह उसे और बच्चों को फिर से अपनाने के लिए उस पर हलाला कराने काे दबाव बना रहा है। पीड़िता के मुताबिक यह कहने पर कि सरकार ने तीन तलाक पर रोक लगा दी है, वह कहता है कि तब जाकर गुजारा भत्ता भी सरकार से ही लो। बकौल पीड़िता शौहर समीउल्लाह व ससुराल वाले दहेज में एक लाख रुपये की मांग कर रहे थे। मायके वाले मांग पूरी नहीं कर सके तो 22 दिसंबर 2014 को उसे मार-पीटकर बच्चों संग घर से निकाल दिया। तब उसने गुजारा भत्ता के लिए कोर्ट की शरण ली। अदालत ने शौहर को हर महीने पीड़िता को तीन हजार व बच्चों को एक-एक हजार देेने का आदेश दिया। शौहर के गुजारा भत्ता न देने पर पीड़िता ने 16 फरवरी 2017 को वसूली का मुकदमा दाखिल किया।

उधर, शौहर समीउल्लाह ने उस पर चरित्रहीन होने का लांछन लगाते हुए विवाह विच्छेद का मुकदमा दायर किया। उसने 5 जून 2016 को दो गवाहों के सामने हुआ दिए गए तीन तलाक की प्रति अदालत में दाखिल किया। अदालत से भरण-पोषण के मुकदमे में रिकवरी वारंट जारी होने पर पति समीउल्लाह हाजिर हुआ। मुकदमा चलता रहा। इस बीच पत्रावली सुलह-समझौते के लिए मीडिएशन सेंटर में आई। वहां पीड़िता ने कोर्ट द्वारा किए गए आदेश पर गुजारा भत्ता की मांग की। मीडिएशन सेंटर में शौहर को समझाया गया कि सुलह-समझौता कर बीवी व बच्चों को अपना ले। पुलिस अधीक्षक को भेजे गए प्रार्थना पत्र में पीड़िता ने आरोप लगाया है कि शौहर कह रहा है कि मैंने तुम्हें तीन तलाक दिया है,अब किसी से हलाला करा कर आओ तभी साथ रखूंगा। मासूम बच्चों के साथ अदालत का चक्कर काट रही पीड़िता का कहना है कि वह हलाला हरगिज नहीं कराएगी, शौहर रखे चाहे न रखे। हलाला की आड़ में मुस्लिम महिलाओं का रूहानी व जिस्मानी शोषण किया जाता है। पहले शौहर के पास फिर से जिंदगी गुजारने के लिए किसी गैर मर्द के साथ हमबिस्तर होना बेहद दुखदाई है।

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