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वित्त मंत्रालय: धोखाधड़ी करने वालों को नहीं पकड़ा तो बैंक प्रमुखों पर होगा केस दर्ज

देश में बैंकों से लोन लेकर धोखाधड़ी करने वाले लोगों की लंबी फेहरिस्त है जिन्हें पकड़ना सरकार के लिए भी टेड़ी खीर साबित हो रही है। सरकारी बैंकों के लोन में बढ़ती धोखाधड़ी की घटनाओं को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने इनके सीईओ को सख्त चेतावनी जारी कर दी है। सूत्रों के मुताबिक सभी सरकारी बैंकों को मंत्रालय ने इस बारे में एडवाइजरी जारी कर दी है। वित्त मंत्रालय के चेतावानी में सभी सीईओ से 50 करोड़ रुपए से अधिक एनपीए वाले खातों में धोखाधड़ी की पहचान करने और उन्हें रोकने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर बैंक प्रमुखों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र का केस दर्ज किया जा सकता है। 

मंत्रालय का ये निर्देश बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों की जांच सरकारी एजेंसियां द्वारा चल रही है। फरवरी में पंजाब नेशनल बैंक में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की धोखाधड़ी सामने आई थी। इन्होंने 14,000 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया था। अभी भूषण स्टील के पूर्व प्रमोटर नीरज सिंघल को सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने गिरफ्तार भी किया है। सिंघल पर सरकारी बैंकों से फ्रॉड के जरिए 2,000 करोड़ रुपए कर्ज लेने का आरोप है।

यही नहीं दूसरी कई कंपनियों ने भी ऐसे तरीके अपनाकर धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। एसएफआईओ उन कंपनियों के खातों की भी जांच कर रहा है जिनके खिलाफ दिवालिया कार्रवाई की जा रही है। अब तक की ऑडिटिंग में कई कंपनियों में वित्तीय अनियमितताएं पकड़ी गई हैं। पहले एसएफआईओ के पास गिरफ्तारी का अधिकार नहीं था। उसे अगस्त 2017 में यह अधिकार मिला। एसएफआईओ कंपनी मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करता है।

बैंकों को चेतावनी
बैंकरों को 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के एनपीए वाले खातों में अनियमतता या घोटाले की पहचान करनी पड़ेगी। 
आईपीसी की धारा 120बी के तहत दर्ज होगा मुकदमा ।
बैंक फ्रॉड को पकड़ने में नाकाम रहे और बाद में जांच एजेंसी ने उसका खुलासा किया, 
तो सीईओ को आईपीसी की धारा 120बी के तहत जिम्मेदार ठहराया जाएगा। 

व्यापार पर असर
बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों पर लोन को लेकर इतनी सख्ती से कॉरपोरेट लोन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन इनका ये भी रहना है कि इस सख्ती से बैंक कर्ज देने में और ज्यादा सावधानी बरतेगी जिससे घोटाले कम होंगे । बड़े कर्ज में एनपीए बढ़ने के कारण बैंक पहले ही रिटेल कर्ज पर फोकस कर रहे हैं। बैंकों की ब्याज आय में अभी कंपनियों का हिस्सा 39% है और ये 2022 तक घटकर 27% रह सकता है। रिटेल कर्ज से रेवेन्यू 28% से बढ़कर 35% हो जाएगा और 2011-12 में बैंकों के रेवेन्यू में कंपनियों के कर्ज का हिस्सा 50% था। 

जांच एजेंसियों को पता चला कि कर्ज लेने वाली कंपनी या व्यक्ति ने पैसे का गलत इस्तेमाल किया है, तो बैंकर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हो सकता है। 
कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू करने पर बैंक को दो साल के ट्रांजैक्शन की जांच करनी पड़ती है। गंभीर गड़बड़ी पाई जाने पर बैंक फोरेंसिक ऑडिट भी करते हैं। 

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