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काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की पवित्रता के लिहाज से अब इन सामानों को किया गया बैन

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्लास्टिक की बाल्टी और लोटे में जल लेकर जाने पर बुधवार से प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब मंदिर के पुजारी भी प्लास्टिक के लोटे या बाल्टी को लेकर गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। 

मंगलवार को न्यास परिषद की 95वीं बैठक में कई फैसले लिए गए थे। इसके बाद लागू की गई नई व्यवस्था में गर्भगृह में श्रद्धालुओं को चंदन लगाने, माला पहनाने और चरणामृत देने पर भी रोक लगा दी गई है। इसके लिए मंदिर परिसर में तीन स्थान चिह्नित किए गए हैं और इसके लिए यहीं पर व्यवस्था की जाएगी। गगरा में जल से जलाभिषेक को भी पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया गया है। 

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. अशोक द्विवेदी ने बताया कि बाबा के विग्रह की सुरक्षा के मद्देनजर गर्भगृह के बाहर से जलाभिषेक की व्यवस्था श्रावण मास और विशेष पर्वों पर ज्यादा संख्या में श्रद्धालु आने पर ही की जाएगी। गर्भगृह की पवित्रता के लिहाज से गर्भगृह के बाहर से जलाभिषेक के लिए शिवलिंग के प्रतीक स्वरूप स्टैंड बनाए जाएंगे।  

मंदिर की व्यवस्थाओं और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अतिथि गृह गंगा दर्शन गेस्ट हाउस का नाम श्री काशी विश्वनाथ गेस्ट हाउस कर मंगला आरती के लिए आने वाले भक्तों को उचित कीमत पर फर्स्ट कम-फर्स्ट यूज के आधार पर मुहैया कराने की व्यवस्था इस सप्ताह के अंत तक लागू हो जाएगी।

कालेश्वर-जामेश्वर महादेव धाम का होगा विकास

चंदौली जिले की सकलडीहा तहसील में प्राचीन श्रीकालेश्वर महादेव और जामेश्वर धाम के विकास और विस्तार के साथ ही वहां दर्शनार्थी और श्रद्धालुओं की सुविधाएं बढ़ाई जाएगी। इसके लिए जल्द ही श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास परिषद की टीम मंदिरों का दौरा करेगी। दोनों मंदिरों के आसपास लोगों ने कब्जा कर रखा है। इन्हें खाली कराने के साथ ही साफ-सफाई, बिजली, पानी और सड़क को बेहतर बनाने की तैयारी है।

नियमावली के लिए पांचवी बार भेजा गया प्रस्ताव
विश्वनाथ मंदिर में तैनात कर्मचारियों की सेवा नियमावली के लिए भेजा गया यह पांचवा प्रस्ताव है। इसके पूर्व 2000, 2008, 2013 और 2017 में भी सेवा नियमावली के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। हर केवल आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है। वर्तमान प्रस्ताव में धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी नियुक्तियों के लिए धर्माचार्यों की सलाह के आधार पर नियमावली तैयार की जाएगी।

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