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बागी AAP नेता कपिल मिश्रा ने इशारों-इशारों में केजरीवाल को बताया ‘नक्सलवादी’

आम आदमी पार्टी (AAP) के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संगठन (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) और AAP की छात्र इकाई छात्र युवा संघर्ष समिति (CYSS) के गठबंधन पर कहा है कि दिल्ली के हर कार्यकर्ता और छात्र के साथ यह एक धोखा है। दिल्ली ने आइसा की विचारधारा को कभी स्वीकार नहीं किया है। इतना ही नहीं, करावल नगर से AAP विधायक ने कहा कि नक्सलवादी सोच को डीयू में केजरीवाल नाम से घुसाने की यह साजिश है। AAP अब जहर बन चुकी है। 

इससे पहले पिछले साल जून में भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नक्सली बताया था। उन्होंने कहा था कि अरविंद केजरीवाल नक्सली है, ऐसे में आखिर क्यों ममता बनर्जी, एचडी कुमारस्वामी, चंद्रबाबू नायडू और पिनारई विजयन को उनका समर्थन करना चाहिए। स्वामी ने कहा था कि केजरीवाल के पास कुछ भी नहीं हैं, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन जो मैंने शुरू किया था उसके बाद उन्होंने इसमे हिस्सा लिया लेकिन अब उनके पास कुछ नहीं है। केजरीवाल को नक्सली बताते हुए स्वामी ने कहा कि वह पैदाइशी नक्सली हैं, वह हमेशा से छिपा हुआ नक्सली था, वह 420 है, ऐसे में आखिर क्यों ये मुख्यमंत्री उसका समर्थन कर रहे हैं।

दिलचस्प होगा डूसू चुनाव, AAP के छात्र सगंठन CYSS ने आइसा से मिलाया हाथ

यहां पर बता दें कि बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संगठन (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) एवं आम आदमी पार्टी (AAP) की छात्र इकाई छात्र युवा संघर्ष समिति (CYSS) ने गठबंधन किया। आइसा डूसू चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर प्रत्याशी उतारेगी। वहीं सीवाइएसएस सचिव एवं संयुक्त सचिव पर प्रत्याशी उतारेगी। AAP के दिल्ली संयोजक एवं श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सकारात्मक बदलाव के लिए डीयू में ईमानदार राजनीति के लिए हमारी छात्र इकाई चुनाव लड़ रही है।

इससे पहले आइसा और CYSS के बीच गठबंधन के बीच एलान के दौरान गोपाल राय ने कहा कि डीयू में अभी एबीवीपी और एनएसयूआई की गुंडागर्दी की राजनीति का बोलबाला है और छात्रों से हमें फीडबैक मिला है कि वे बदलाव की राजनीति चाहते हैं। अब सीवाईएसएस और आइसा मिलकर एबीवीपी-एनएसयूआई की नकारात्मक राजनीति को हराएंगे।

वहीं, सीवाईएसएस के दिल्ली अध्यक्ष सुमित यादव ने कहा कि डीयू का मतदान फीसद 30 से 40 रहता है। पिछले साल तो 9000 वोट नोटा को गए थे। हम दोनों के मुद्दे एक ही हैं और सोच भी, इसलिए हमने साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया है। सुमित के मुताबिक, पिछले साल केंद्र सरकार ने हायर एजुकेशन को लेकर जो फैसले लिए उसके खिलाफ सिर्फ सीवाईएसएस और आइसा ने लड़ाई लड़ी।

वहीं, आइसा की डीयू प्रेजिडेंट कंवलप्रीत कौर ने कहा कि अगर एबीवीपी गुंडागर्दी करती है, तो एनएसयूआई खामोश रहकर उनका साथ देता है। हम इनके खिलाफ छात्र-छात्राओं को विकल्प देंगे।

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