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जम्मू-कश्मीर: कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को किया ढेर, एक की उम्र 18 साल

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षाबलों ने मंगलवार सुबह-सुबह दो आतंकियों को मार गिराया है। सुरक्षाबलों ने आतंकियों के पास से हथियार बरामद किए हैं। 

मंगलवार सुबह कुपवाड़ा जिले में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया। कुपवाड़ा जिले के गुलूरा गांव में दो से तीन आतंकियों के छिपे होने की सूचना खुफिया एजेंसी को मिली थी। जानकारी मिलते ही कुपवाड़ा के हंदवाड़ा इलाके के गुलूरा गांव को सुरक्षाबलों ने घेर लिया और गहन तलाशी की।

गांव में एक घर में छिपे आतंकियों ने खुद को घिरा देख सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने भी आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया, और दोनों को गोलीबारी में ढेर कर दिया। 

मारे गए आतंकियों के पास से सुरक्षाबलों ने दो एके-47 राइफल समेत कुछ अन्य सामान भी बरामद किया है। फिलहाल इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है।मारे गए दोनों आतंकी लश्कर ए तैयबा से जुड़े थे। लियाकत सोपोर के हरवान का रहने वाला था, जबकि 18 साल का फुरकान हंदवाड़ा का रहने वाला था।  

श्रीनगर के खानयार इलाके के बरारी नामबल बाबाडैम में आतंकियों ने सोमवार की देर रात एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी। घटना के बाद आतंकी मौके से फरार हो गए। इनकी तलाश के लिए आस पास के इलाके में तलाशी अभियान चलाया गया। 

मारे गए व्यक्ति की शिनाख्त कुपवाड़ा के शेखपोरा लालपोरा के अब्दुल अहद गनई के रूप में हुई है जो पिछले 10 वर्षों से श्रीनगर में रह रहा था। बताते हैं कि आतंकियों ने गनई को गाड़ी में बिल्कुल करीब से गोली मारकर हत्या कर दी। 

घटना में पिस्तौल के इस्तेमाल होने की आशंका है। सूत्रों ने बताया कि उसकी पत्नी खानयार की रहने वाली है जो कश्मीर विश्वविद्यालय में काम करती है। एसएसपी इम्तियाज इस्माइल परे ने बताया कि मामले की छानबीन की जा रही है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है। 

कासो शुरू होते ही भड़की हिंसा

दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर सोमवार की देर रात शुरू किए गए कासो के दौरान हिंसा भड़क उठी। सिरनू इलाके के कार मोहल्ले को घेरकर जैसे ही सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान शुरू किया तो युवा सड़कों पर उतर आए। उन्होंने विरोध प्रदर्शन करते हुए भारी पथराव किया। स्थिति को संभालने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। हिंसक प्रदर्शनों से तनाव की स्थिति बनी रही। आजादी के हक में नारेबाजी भी की गई।

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