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डेंगू से हुई मासूम गोविंद की मौत,सामने आई डॉक्टर की लापरवाही

देश भर में डेंगू ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा।शानिवार 16 तारीख को लखनऊ के अमीनाबाद में हाथी खाना में एक 7 साल के गोविंद की डेंगू से मौत हो गई थी।

ब्रस्पतिवार को ही बच्चे को बुखार था घर वालों को लगा कि शायद उसे हल्का बुखार है।उन्होंने बलरामपुर में बच्चे को दिखाया तो डॉक्टर ने मामूली दवाई(पैरासिटामॉल)देकर वापस भेज दिया।शनिवार को फिर बच्चे को तेज बुखार आया तो बच्चे की माँ उसे तुरंत बलरामपुर इमरजेंसी लेकर गई थी। लेकिन बलरामपुर में भी जांच के बाद रिपोर्ट देर से मिली।


बच्चे की माँ और आसपास के लोगों का कहना है की बलरामपुर में काफी लापरवाही देखी जा रही है।वहां बच्चों का बिल्कुल ध्यान नही दिया जा रहा।बलरामपुर एमरजेंसी जो कि 24 घंटे खुली रहती है।लेकिन देर रात में भी कोई आता है तो उन्हें मामूली दावा देकर भेज दिया जाता है।उन्हें छू कर भी नही देखा जाता बस हाथ मे दवाई देकर भेज देते है।

सोमवार को जब माँ और (बच्चे की बहन)यानी कि मैं खुद उसे लेकर दूसरी जांच कराने पहुँची तो डॉक्टर ने बच्चे यानी की मेरे भाई को एडमिट कर लिया।लेकिन उन्होंने बिल्कुल धयान नही दिया।शाम को करीब 4 बजे उसका शरीर अकड़ने लगा।तभी डॉक्टर को बुलाया था।लेकिन उन्होंने भी बिल्कुल ध्यान नही दिया बस ग्लूकोस चढ़ाते रहे।माँ का कहना है कि जब बच्चें की हालात ज्यादा गंभीर होने लगी तो डॉक्टर ने रेफेर करने को बोल दिया।

शाम को करीब 4:30 बजे बच्चे को प्राइवेट हॉस्पिटल ले गये लेकिन वहां भी डॉक्टर ने जवाब दे दिया।फिर बच्चे के पिता,चाचा,माँ,चाची,और घर के अन्य सदस्य एवं परिजन उसे मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर लेकर गए।वहां पर भी डॉक्टर ने एडमिट करने को माना कर दिया था।लेकिन कई सोर्स होने के कारण वहां एडमिट किया गया।डॉक्टर ने उसे तुरंत ही देखते वेंटिलेटर पर रख दिया और उसका ट्रीटमेंट शुरू कर दिया था।पांच दिन तक लगातार गोविंद एडमिट रहा था।

डॉक्टर ने बताया कि उसे यूरिन भी नही हो रही थी और उसके फेफड़ो में पानी भर गया था।डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोला था।घर वालों ने इसकी हाज़री भी दे दी थी।डॉक्टर चाहते तो वो ऑपरेशन कर सकते थे लेकिन उन्होंने 24 घंटे तक कुछ नही किया।लोगों का कहना है कि ट्रामा सेंटर में डॉक्टर खुद ट्रीटमेंट नहीं करते थे वो बस दूर से देख कर नर्स को बोल देते थे ट्रीटमेंट करने को और नर्स बिल्कुल ध्यान नही देती थी।लखनऊ के सभी अस्पतालों में लापरवाही नजर आ रही है।

शानिवार को सुबह 4 बजे मासूम गोविंद ने अपनी जान गवा दी।सभी घर वालों और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था।बच्चे की माँ और बहन यानी कि मेरा कहना है कि बच्चे की मौत डॉक्टर की लापरवाही की वजह से हुई है।बच्चे की माँ का ये भी कहना है कि अब से सभी माँ बाप अपने बच्चे को सही अस्पताल में ले जाए।बच्चे का शरीर शनिवार को सुबह 11 बजे शमशान घाट पर दफना दी गई थी।

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