मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेशः गांधीसागर अभयारण्य में पक्षी विशेषज्ञों को मिले करीब 200 दुर्लभ पक्षी

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में बीते पखवाड़े पक्षी विशेषज्ञों का जमावड़ा रहा और उत्साहित करने वाली बात यह है कि इस दौरान उन्होंने तकरीबन 200 दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों को न सिर्फ देखा बल्कि उनके बारे में तमाम जानकारी भी एकत्र की.

वन विभाग के अधिकारी ने इस संबंध में बताया कि 22 से 24 फरवरी के बीच 7 राज्यों के 80 पक्षी विशेषज्ञ एवं पक्षियों को पहचानने में रुचि रखने वाले लोग यहां जुटे. उन्होंने कहा कि इन लोगों ने 361वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले गांधीसागर के अभयारण्य में दुर्लभ पक्षियों की जानकारी एकत्र करने के लिए सर्वे किया.

वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) मंदसौर मयंक चाँदीवाल ने बताया कि पक्षी विशेषज्ञों ने लगभग 191 प्रकार के दुर्लभ पक्षियों को अपने-अपने कैमरों में कैद किया और इन पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र कर वन विभाग मंदसौर को सौंप दी.

उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न भागों से पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करने आए इन विशेषज्ञों के लिए कुल 24 मार्ग तय किये गये थे और प्रत्येक मार्ग में 3 से 4 सदस्य विशेषज्ञों के साथ फॉरेस्ट गार्ड तथा सुरक्षा गार्ड भी रखे गये थे.

उन्होने बताया कि अभी कुछ और जानकारी आना बाकी है, जिसके बाद दुर्लभ पक्षियों की संख्या में और इजाफा होने का अनुमान है.

चांदीवाल ने बताया कि सर्वे के दौरान विशेषज्ञ दलों को जो दुर्लभ पक्षी देखने को मिले है उनमें पेंटेड सेड, ग्राउस मेल और फीमेल, ब्राउन कैप्ड, पिगनी वुड पैकर, सवाना नाईटजर, लेसर गोल्डन, बैक वुड पैकर, एन्ड हेबिटाट, रेड क्रस्टेड, पोचार्ड, रेड नेकेट फाल्कन, क्रेस्टेड हॉक ईगल, ब्राउन फिश ओल, वेलिकन, टफ्टेड डक, डाल मेटियन आदि शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि पक्षियों में रुचि रखने वालों और विशेषज्ञों से इस सर्वे में शामिल होने के लिए आवेदन आमंत्रित किये गये थे. देश भर से कुल 115 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 80 विशेषज्ञों को यहां आने का न्यौता दिया गया. यहां आए लोगों में सतीश पांडे, इलना फाउंडेशन पुणे, अजय गडिकर इंदौर, स्वप्निल फणसे इंदौर के अलावा मुम्बई में वाइल्ड लाइफ का कोर्स कर रहे 10 छात्र समेत देश के 7 राज्यों के विशेषज्ञ शामिल थे.

गांधीसागर के अभयारण्य में सर्वे करने वाले देवकुमार वासुदेवन ने कहा कि यहां चम्बल का बहुत बड़ा रूप देखने को मिला. इस क्षेत्र में वल्चर एजिप्शन तथा कई किस्म के वुड्स स्कराइब पक्षियों के अलावा 40-45 प्रकार के दुर्लभ पक्षी देखने को मिले. अजय गडिकर का कहना था कि वह दुर्लभ पक्षियों को देखने के लिये सुबह निकले थे. घने जंगल में जगह -जगह जल राशियों के बीच घूमने का अपना एक अलग ही रोमांच था. इस दौरान कई जगह अपना घोंसला बनाते पक्षी भी देखे.

उन्होंने बताया कि इस अभयारण्य में तेंदुआ, लोमड़ी, हायना, ऊदबिलाव, चिंकारा, नीलगाय, गोइया आदि विभिन्न किस्म के ढेरों जानवर भी हैं.

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