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कहीं शौर्य दिवस तो कहीं संविधान बचाओ, आज भी प्रासंगिक है 6 दिसंबर का बाबरी विध्वंस

26 साल पहले उत्तर प्रदेश का अयोध्या हजारों कारसेवकों की मौजूदगी से दहल गया. 6 दिसंबर, 1992 को जय श्री राम के नारे लगाते हुए कारसेवक बाबरी मस्जिद के गुंबदों पर चढ़ गए और उसे जमींदोज कर टेंट में रामलला की मूर्ति रख दी. लेकिन तमाम राजनीतिक वादों-इरादों के बावजूद ढाई दशक बीत जाने पर भी भव्य मंदिर का निर्माण आज तक नहीं हो सका. हालांकि, बाबरी विध्वंस की इस बरसी पर हालात जुदा हैं और यह तारीख जहां शौर्य के प्रतीक के तौर पर देखी जा रही है, वहीं विध्वंस को अपराध बताते हुए ‘संविधान बचाओ’ का नारा भी बुलंद हो रहा है.

अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले पूरे देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा जोरों पर है. महाराष्ट्र से निकलकर शिवेसना प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या पहुंच चुके हैं और मोदी सरकार को राम मंदिर निर्माण की तारीख बताने का अल्टीमेटम तक दे चुके हैं. दूसरी तरफ साधु-संत भी कहीं ज्यादा मुखर हैं और उनके तेवर सख्त नजर आ रहे हैं. संतों के कई धड़े मौजूदा सरकार को खुली चेतावनी पेश करते हुए चुनाव में सबक सिखाने तक का दंभ भर चुके हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी साफ तौर पर सरकार से कानून बनाकर मंदिर निर्माण की मांग कर चुके हैं. नेताओं के भाषण से लेकर संतों की सभाओं तक, हर चर्चा-परिचर्चा के केंद्र में यही सबसे ज्वलंत मुद्दा है. इस बीच 6 दिसंबर के बहाने विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने नए आंदोलन की तैयारी की है.

शौर्य दिवस

यूं तो वीएचपी 1993 से हर साल 6 दिसंबर को शौर्य दिवस के रूप में मनाने का दावा करती रही है, लेकिन इस बार संगठन ने इस मौके पर नया आंदोलन शुरू करने की योजना बनाई है. 6 दिसंबर को जहां कारसेवकपुरम अयोध्या में धर्मसभा के साथ हवन पूजन के कार्यक्रम रखे गए हैं. वहीं, सभी जिलों में महाआरती कर जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपने की भी संगठन की योजना है.

अयोध्या में विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया है कि शौर्य दिवस के मौके पर रामनगरी में मां सरस्वती की विशेष प्रार्थना की जाएगी ताकि वह लोगों की, खासकर नेताओं की राम मंदिर निर्माण के रास्ते से कोई भी बाधा हटाने में मदद करें. उन्होंने ये भी बताया कि सर्व बाधा मुक्ति हवन किया जाएगा. गोलियां खाने वाले कारसेवकों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी.’

शरद के मुताबिक, हनुमान चालीसा का पाठ कर राम मंदिर निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना के साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन लिखे जाएंगे और मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग की जाएगी. यानी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वीएचपी का ‘शौर्य दिवस’ सामूहिक आह्वान के तौर पर मनाया जा रहा है.

संविधान बचाओ, देश बचाओ

विहिप जहां 6 दिसंबर को शौर्य दिवस के रूप में मना रहा है, वहीं वाम दलों का मानना है कि इस दिन बाबरी मस्जिद गिराकर संविधान और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों पर हमला किया गया था और सांप्रदायिक ताकतें हिंदुत्व की राजनीति को और धारदार बनाकर सत्ता पर काबिज रहने के सपने देख रही हैं. वाम दलों का कहना है कि राम मंदिर विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, फिर भी इसे आस्था का मामला बताकर उन्माद फैलाने की कोशिश की जा रही है. यही वजह है कि वाम दलों ने ये दिन संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.

9 दिसंबर को दिल्ली में रैली

हिंदुवादी संगठनों की बात की जाए तो बाबरी विध्वंस की 26वीं बरसी शौर्य दिवस तक सीमित नहीं रखी गई है, बल्कि इससे आगे बढ़कर मंदिर निर्माण के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाने का भी टारगेट रखा गया है. कानून बनाकर अयोध्या में मंदिर निर्माण की मांग पर दिल्ली में आगामी 9 दिसंबर को वीएचपी एक रैली भी आयोजित करने जा रही है. जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत शिरकत करेंगे और मंदिर के लिए कानून बनाने की मांग करेंगे.

रामलीला मैदान में होने वाली इस रैली में देशभर से लोगों को बुलाया गया है, जिसके लिए प्रांतीय स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक दो हजार से ज्यादा बैठक की जा चुकी हैं. यहां तक की घर-घर जाकर भी मंदिर के लिए समर्थन जुटाया जा रहा है. इस रैली में पांच लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

विहिप के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त सचिव सुरेन्द्र जैन ने जानकारी दी है कि दिल्ली में नौ दिसंबर की रैली के बाद मंदिर निर्माण के पक्ष में देशव्यापी जनभावनाओं को देखते हुए सभी दलों के विचार बदलेंगे कि कानून के जरिए मंदिर निर्माण हो और संसद में सभी दल इसका समर्थन करेंगे.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इस संबंध में कानून बनाने जैसी किसी भी संभावना को सरकार और सत्तारूढ़ बीजेपी की तरफ से स्पष्ट तौर पर इनकार किया जा चुका है. बावजूद इसके विहिप और आरएसएस लगातार कानून की मांग कर रहे हैं. यहां तक कि विहिप ने इस मसले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से समर्थन मांगने की भी बात कही है. है. साथ ही ये भी स्पष्ट कह दिया है कि अगर दिल्ली का प्रयास असफल हो जाता है तो अगले साल प्रयाग कुंभ में 31 जनवरी और एक फरवरी को आयोजित होने वाली धर्म संसद में इस मामले पर अंतिम फैसला किया जाएगा.

यानी 6 दिसंबर, 1992 को मस्जिद गिराकर राम मंदिर निर्माण की कोशिशों का जो आगाज हुआ था, उसे अंजाम तक पहुंचाने कि लिए 2018 में इसी दिन से लड़ाई को अंतिम रूप देने का आरंभ किया जा रहा है.

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