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केंद्र में सरकार की तरफ से कहा गया था कि वह देश में एनर्जी सेक्टर में बड़ी बड़ी कंपनियों को स्थापित करना चाहती है.

 राजग सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद ही कहा था कि बिजली क्षेत्र में बहुत सारी सरकारी कंपनियों की जरूरत नहीं है। अब जाकर सरकार ने बिजली क्षेत्र की पावर कंपनियों में विलय की तैयारी की है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले कुछ हफ्तों में इस बारे में अहम घोषणा होने की उम्मीद है।

पहले चरण में बिजली क्षेत्र कि वित्तीय कंपनियों मसलन पीएफसी में आरईसी का विलय करने की बात हो रही है। अगले चरण में पनबिजली पीएसयू को आपस में मिला कर एक बड़ी कंपनी बनाने की सोच है। बताते चलें कि हाल ही में तीन बैंकों का विलय किया गया है जबकि तीन सरकारी साधारण बीमा कंपनियों के विलय की प्रक्रिया शुरू की गई है। जबकि ऑयल सेक्टर की दी सरकारी कंपनियों का भी विलय किया गया है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 80,000 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी पावर सेक्टर की सरकारी कंपनियों का विलय जरूरी है। पीएफसी और आरईसी के विलय से ही सरकार को 14-15,000 करोड़ रूपए प्राप्त होने की उम्मीद है। यह रकम आरईसी सरकार को पीएफसी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए देगी। पीएफसी में सरकार की तकरीबन 66% हिस्सेदारी है। इस बारे में हाल ही में पावर और वित्त मंत्रालय के बीच विस्तार से विमर्श हुआ है।

केंद्र में सरकार बनाने के साथ ही राजग सरकार की तरफ से कहा गया था कि वह देश में एनर्जी सेक्टर में बड़ी बड़ी कंपनियों को स्थापित करना चाहती है। इसके लिए कोयला, ऑयल, पावर सेक्टर में विलय और एकीकरण को अपनाने की बात भी कही गई थी। तत्कालीन पावर मंत्री पीयूष गोयल ने एनटीपीसी और कोल इंडिया लिमिटेड को दुनिया की दस सबसे बड़ी एनर्जी कंपनियों में शामिल करने का लक्ष्य रखा था। इस बारे में कुछ खास तो नहीं हो पाया है लेकिन उम्मीद है कि पीएफसी और आरईसी के विलय से आगे की कुछ राह निकलेगी।

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