बिहार

क्या इतना आसान है तेज का एेश से अलग हो जाना

राजद सुप्रीमो के बड़े बेटे एवं बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव की तलाक की अर्जी पर 29 नवंबर को सुनवाई होनी है। बता दें कि तेजप्रताप यादव ने अपनी पत्नी एेश्वर्या राय से तलाक के लिए दो नवंबर को फैमिली कोर्ट में अर्जी दी थी। तेजप्रताप के तलाक पर एक ओर जहां राजनीतिक बयानबाजी भी जारी है तो वहीं ये खबर मीडिया के लिए भी हॉट टॉपिक बना हुआ है।

तेजप्रताप का एेश्वर्या से तलाक, वजह जो भी हो। लेकिन, कानूनी तौर पर तेजप्रताप यादव द्वारा दर्ज की गई अर्जी औचित्यहीन है। तलाक अन्य धर्मों के लिए भले ही आसान है। लेकिन, हिन्दू धर्म में पति एवं पत्नी को तलाक देना अभी भी इतना आसान नहीं है। सामाजिक नियम-कानून के साथ ही कानूनी तौर पर आज भी इस संबंध में ये अबतक इतना सरल नहीं, जितना तेजप्रताप के मामले में भी दिख रहा है।

विधि वक्ताओं ने दी है अलग-अलग राय

कुछ अधिवक्ताओं ने तो तेज प्रताप की तलाक की अर्जी को सिर्फ हाई लेवल ड्रामा करार दिया है और उनका कहना है कि यह उनकी बचकानी हरकत के अलावा कुछ भी नहीं है। इसकी वजह ये है कि तेज प्रताप यादव की शादी को मात्र छह महीने हुए हैं और इस तरह से अचानक पत्नी पर आरोप लगाकर तलाक की अर्जी दाखिल करना बिना सोचे-समझे उठाया गया कदम है जो कानूनी तौर पर सही नहीं है।

हिन्दू विवाह कानून की जानकार सोनी श्रीवास्तव मानती हैं कि  जब इस तरह से तलाक संभव ही नहीं है तो हाय-तौबा खड़ा करने का क्या मकसद हो सकता है? इस प्रकार की तलाक की अर्जी का क्या महत्व है? कानून भी कहता है कि शादी के कम-से-कम एक साल बाद ही तलाक की अर्जी दी जा सकती है।

वहीं, अधिवक्ता आरके शुक्ला बताते हैं कि हिंदू मैरिज एक्ट में एकतरफा किसी खास शर्तों के आधार पर ही तलाक हो सकता है। एक्स पार्टी तलाक के लिए अनेक नियम एवं कायदे बनाए गए हैं। तलाक से जुड़़े सारे मामले परिवार न्यायालय में ही दायर हो सकते हैं । इसके लिए पहले यह देखना जरूरी है कि कहीं यह मसला  दहेज उत्पीडऩ , घरेलू हिंसा आदि समस्या को लेकर तो नहीं है। 

वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा कहते हैं कि तलाक के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि किस आधार पर तलाक लिया जा सकता है।  इसके लिए यह जरूरी है कि पति-पत्नी, दोनों के बीच लंबे समय से संबंध स्थापित नहीं हुए हों, या फिर दोनों पार्टनर में से कोई व्यभिचार जैसे अपराध में संलिप्त पाया गया हो । लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे भी खत्म कर दिया है। 

उन्होंने कहा कि मानसिक यातना सिर्फ एक घटना के आधार पर तय नहीं होती है बल्कि, घटनाओं की श्रृंखला पर आधारित होती है। आखिरकार इस मामले में कोर्ट के नजरिये पर ही सब कुछ संभव है । दुर्व्यवहार की श्रेणी में  दहेज के लिए परेशान करना, अस्वाभाविक यौन संबंध बनाना क्रूरता की श्रेणी में आते हैं ।

अगर देखा जाए तो तेज प्रताप की अर्जी में इस तरह की कोई बात नहीं है। दूसरी बात यह है कि अगर पति और पत्नी में से कोई एक कम-से-कम दो साल से अधिक समय के लिए अलग-अलग रहे तो भी एक आधार बन सकता था। लेकिन, तेजप्रताप की शादी को अभी छह महीने से ज्यादा नहीं हुए हैं। ऐसी स्थिति में तलाक की बात करना बेमानी है ।

महिला अधिवक्ता बंदना सिंह कहती हैं कि अगर किसी एक साथी मानसिक विकार से ग्रस्त है और इस कारण से दोनों के साथ रहने की कोई उम्मीद नहीं हो तो ऐसी अवस्था में कोई एक पार्टनर तलाक की अर्जी दे सकते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि ऐसी कई बीमारियां हैं जिससे संक्रमण फैलने की संभावना हो सकती है। तो ऐसी स्थिति में भी तलाक का आधार बन सकता है। लेकिन, इसके गुण और दोषों को अदालत ही तय करेगी कि क्या करना है।

एेसे में कानूनविदों की राय के मुताबिक तेजप्रताप का तलाक तो संभव नहीं लगता है। अब देखना ये होगा कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष इस मामले में क्या जवाब देते हैं। वैसे जानकारी के मुताबिक तेजप्रताप यादव की पत्नी एेश्वर्या राय के परिजनों ने दायर तलाक अर्जी की कॉपी कोर्ट से निकलवायी है। तो एेसे में दूसरे पक्ष का भी जवाब तैयार हो रहा होगा। 

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