उत्तर प्रदेश

चरखारी के विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने पांच वर्ष के बच्चे को एक दिन के लिए विधायक बनाया

 उत्तर प्रदेश में स्कूली बच्चों को सरकारी कार्यशैली से अवगत कराने के लिए एक दिन का थानेदार या फिर एसडीएम तो बनाने की प्रक्रिया तो पुरानी पड़ गई है, लेकिन महोबा के चरखारी से चर्चित विधायक ब्रजभूषण राजपूत इस मामले में एक कदम आगे बढ़ गए हैं। उन्होंने महोबा में एक गांव के पांच वर्षीय बच्चे को एक दिन का विधायक बनाने का साहस दिखाया। दिव्यांग इस बालक ने न सिर्फ लोगों की शिकायतें सुनीं बल्कि सरकारी सुरक्षा में भी रहा।

जनप्रतिनिधि के लोगों को अपना काम दिखाने को लेकर एक फिल्म नायक बन चुकी है। इसमें अभिनेता अनिल कपूर एक दिन के लिए सूबे के मुख्यमंत्री बनते हैं और दिन भर कई सारे काम करते हैं। असल जिंदगी में भी हाल ही में एक ऐसा वाकया सामने आया है जहां एक पांच साल के बच्चे को एक दिन के लिए विधायक बनाया गया। यह घटना महोबा के चरखारी में देखने को मिली। चरखारी के विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने पांच वर्ष के बच्चे को एक दिन के लिए विधायक बनाया। यह औपचारिकता नहीं थी बल्कि बच्चे ने एक दिन तक विधानसभा क्षेत्र में कई काम भी किए और विधायक ब्रजभूषण ने एक दिन के लिए बच्चे को अपनी गाड़ी, गनर और सचिव सौंप दिए। विधायक बना यह बच्चा दिव्यांग है। एक दिन के विधायक प्रोटोकॉल के तहत बच्चे को सभी अधिकार भी दिए गए। नए नए विधायक बच्चे ने भी अपने अधिकारों का भरपूर उपयोग किया और जनसमस्याओं से लेकर औचक निरिक्षण तक सारी कारर्वाइ की। इसके अलावा पांच साल के विधायक देर रात चरखरी नगर कोतवाली के निरिक्षण करने भी जा पहुंचे।

एक दिन के छोटे विधायक चौपाल गए और यहां पर जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं और कई लोगों की अर्जी स्वीकार की गईं। इसके बाद नन्हे विधायक को कोतवाली में ले जाया गया जहां नन्हें विधायक को दारोगा ने अपने हाथों से उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया। यहां विधायक का स्वागत तो हुआ ही साथ ही शिकायतों के निस्तारण की क्या स्थिति है इसके लिए रजिस्टर भी दिखाया गया। एक दिन के विधायक के साथ लोगों ने सेल्फी खिचवाई।

महोबा के चरखारी में एक दिन का विधायक बनने का गौरव हासिल करने का श्रेय अरुण अहिरवार को मिला। यह यह बच्चा जन्म से ही बोल पाने में असमर्थ है। उसकी यह स्थिति को देखकर मां-बाप उसके भविष्य को लेकर चिंता में रहते हैं। विधायक बनाने की घटना ने बच्चे को तो खुश किया ही साथ ही उसके मां-बाप के चेहरे पर भी मुस्कान बिखर गई। अपने दिव्यांग बेटे को इस तरह सम्मान मिलने से पिता तुलसीराम की आंखें नम हो गईं। बताया कि उसका पुत्र जन्म से नहीं बोल पाता है। लेकिन, आज चरखारी के विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने बेटे को जो सम्मान दिया है, उसे वह जीवन भर नहीं भुला पाएंगे।

चरखारी विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने दिव्यांग को अपनी जगह जन चौपाल पर बैठा दिया। नन्हा अरुण विधायक की तरह जनसमस्याओं की अर्जी लेता रहा। उसने इशारों में कोतवाल को भी निर्देश दिए। अरुण का परिवार खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा है।

विधायक ब्रजभूषण का तामझाम लेकर नन्हें अरुण कोतवाली पहुंचे। यहां तैनात दरोगा ने उन्हें गोद में उठाकर कुर्सी पर बैठाया। कोतवाली में अरुण की खूब आवभगत हुई। अरुण को शिकायत निस्तारण रजिस्टर भी दिखाया गया। चरखारी विधानसभा के जैतपुर कस्बे से पहुंचे फरियादियों की खासी भीड़ रही। लोगों ने नन्हें बालक के साथ खूब सेल्फी ली।

पेशे से दिहाड़ी मजदूर तुलसीराम के घर का चूल्हा मजदूरी मिलने पर जलता है। ऐसे में अरुण को पढ़ाने की व्यवस्था नहीं है। इस पर विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने अरुण को पढ़ाने का पूरा खर्च वहन करने की घोषणा की। वह जहां तक पढ़ेगा, विधायक उसे पढ़ाएंगे। चरखारी के विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने कहा कि अरुण की सामान्य बच्चों से इतर महत्वाकांक्षी देख यह निर्णय लिया। उन्होंने आज थाने का निरीक्षण किया, संभव है कल जिलाधिकारी से भी मिलें। उन्हें एक दिन का पूरा वेतन भी मिलेगा।

भाजपा के चर्चित विधायक ब्रजभूषण राजपूत

ब्रजभूषण राजपूत के पिता गंगाचरण राजपूत लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। वह भाजपा, कांग्रेस, बसपा और सपा के नेता रह चुके हैं। बुंदेलखंड के दिग्गज नेताओं में शामिल गंगाचरण राजपूत के पुत्र भी उनकी लाइन पर है। खानदानी राजनीतिक भाजपा के विधायक भाजपा के विधायक ब्रजभूषण राजपूत को चर्चाओं में रहने का शौक है। यहां से विधायक बनने के बाद पहली बार चर्चाओं में तब आए थे जब उन्होंने हज यात्रा को लेकर विवादित बयान दिया था। ब्रजभूषण ने कहा था कि अगर राम मंदिर नहीं बना तो हज यात्रा पर रोक लगा दी जाएगी। हालांकि, भाजपा ने उनके इस बयान से पल्ला झाड़ लिया था। 

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