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चीन और रूस अमेरिकी अंतरिक्ष क्षमताओं को चुनौती दे रहे हैं : पेंटागन

अमेरिका का कहना है कि चीन और रूस ने मजबूत एवं सक्षम अंतरिक्ष सेवाएं विकसित की हैं और वे अमेरिकी अंतरिक्ष क्षमताओं को चुनौती तथा खतरा पैदा कर रहे हैं. पेंटागन ने रक्षा खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में कहा कि चीन और रूसी सैन्य सिद्धांत इस ओर इशारा करते हैं कि वे अंतरिक्ष को आधुनिक आयुध के रूप में और ‘काउंटर स्पेस’ क्षमताओं (अंतरिक्ष प्रणालियों को बाधित, नष्ट करने सकने की क्षमता) को अमेरिकी एवं उसके सहयागियों की सैन्य ताकत को कम करने के माध्यम के रूप में देखते हैं.

‘अंतरिक्ष में सुरक्षा को चुनौतियां’ रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों ने अंतरिक्ष आधारित खुफिया एवं निगरानी सेवाओं समेत मजबूत एवं सक्षम अंतरिक्ष सेवाएं विकसित की हैं. चीन और रूस अंतरिक्ष प्रक्षेपण यानों और उपग्रह नेविगेशन समेत मौजूदा प्रणालियों में सुधार कर रहे हैं. इसमें कहा गया है, ‘‘ये क्षमताएं उन्हें अमेरिकी एवं उसके सहयोगी बलों पर नजर रखने, उनका पता लगाने और उन्हें निशाना बनाने में सक्षम बनाने में मदद कर रही हैं. इनकी मदद से उनकी सेनाओं की क्षमता में इजाफा हुआ है.’’

40 पन्नों की इस रिपोर्ट में कुछ जगहों पर भारत का भी जिक्र है. पेंटागन ने भारत को उन नौ देशों और एक अंतरराष्ट्रीय संगठन में शामिल किया है जो स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित कर सकते हैं. इनमें चीन, भारत, ईरान, इजराइल, जापान, रूस, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ, रूस और अमेरिकी उपग्रह नेविगेशन प्रणालियां वैश्विक कवरेज मुहैया कराती हैं जबकि जापान एवं भारत क्षेत्रीय प्रणालियां संचालित करते हैं. चीन क्षेत्रीय एवं विश्वव्यापी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली संचालित करता है.

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