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जानिए कौन है वो शख्स, जिसे अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान ने किया रिहा

 पाकिस्तान ने ट्रंप प्रशासन के अनुरोध पर तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला बरादार को रिहा कर दिया है जो अब अमेरिका और तालिबान के बीच शांति प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है. अफगानिस्तान पर विशेष दूत जलमय खलिलजाद ने वाशिंगटन में कहा कि पाकिस्तान की तालिबान के साथ सुलह प्रक्रिया में बहुत अहम भूमिका थी लेकिन उसने ‘‘ऐतिहासिक रूप से सकारात्मक भूमिका नहीं निभाई है.’’

युद्धग्रस्त देश में शांति लाने के प्रयासों में पाकिस्तान की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हालांकि हाल के समय में पाकिस्तान के रुख में ‘‘सकारात्मक बदलाव’’ आया है. तालिबान के साथ शांति वार्ता के ट्रंप प्रशासन के प्रयासों का नेतृत्व कर रहे शीर्ष अमेरिकी दूत ने कहा, ‘‘मुल्ला बरादार को रिहा करने के मेरे अनुरोध को उन्होंने (पाकिस्तान) माना क्योंकि मुल्ला बरादार की छवि थोड़ी खुली सोच रखने वाले और शांति का समर्थन करने वाले व्यक्ति की है.’’

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी की थी बात

खलिलजाद ने बताया कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और उनके उत्तराधिकारी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा था कि बरादार शांति प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकता है और उसने तालिबान तथा अमेरिका के बीच वार्ता कराने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तालिबान और सरकार के बीच बातचीत समेत घरेलु वार्ता का समर्थन करता है इसलिए बरादार की रिहाई बहुत ही सकारात्मक बात है.

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम हमेशा चाहते हैं कि पाकिस्तान और अन्य देश अधिक प्रयास करें लेकिन अभी तक उन्होंने जो किया हम उसकी सराहना करते हैं और मैंने, विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ तथा राष्ट्रपति को यह संकेत दिया है कि हम पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं.’’ खलिलजाद ने कहा कि पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण देश है जिसके साथ हम बेहतर रिश्ते चाहते हैं.

खललिजाद ने दोहा में तालिबान के साथ की वार्ता

उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के साथ अपने संबंधों के लिहाज से जो भूमिका निभाई वह अमेरिका-पाक संबंधों पर बोझ रही है. वे कहते हैं कि वे शांति चाहते हैं. हम इसका स्वागत करते हैं. हम चाहते हैं कि वे सकारात्मक भूमिका निभाए.’’ अमेरिकी राजनयिक खललिजाद ने दोहा में तालिबान के साथ कई चरण की वार्ता की है. खलीलजाद ने कहा, ‘‘तालिबान के साथ हमारी ज्यादातर बैठकें पाकिस्तान में नहीं हुई. यह अन्य देशों में हुई. मुझे लगता है कि मेरे यहां होने का संदेश यह है कि अफगानिस्तान में शांति पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते में मददगार होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में शांति से अफगान-पाकिस्तान संबंधों, क्षेत्रीय संपर्क में मदद मिलेगी. पाकिस्तान को इसका लाभ मिलेगा.’’

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