उत्तर प्रदेश

ट्रेन-18 का 180 किमी प्रतिघंटा का ट्रायल रन सफल

देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन -18 का आज राजस्थान के कोटा मंडल में 180 किमी प्रतिघंटा की गति से दौड़ाने का ट्रायल सफल रहा। आरडीएसओ लखनऊ के निदेशक मेजर प्रशांत सिंह के नेतृत्व में टीम ने नौ किलोमीटर की दूरी में ट्रेन को 180 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ाकर परीक्षण किया। आज ही इसको अब 45 किलोमीटर के रूट पर इसी गति से चलाया जाएगा।

मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत तैयार की गई भारतीय रेल की सेमी हाईस्पीड ट्रेन-18 का कल से कोटा मंडल में परीक्षण किया जा रहा है। आज ट्रेन को सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ाया गया। आज ट्रेन-18 को आरडीएसओ, लखनऊ की टेस्टिंग टीम ने नौ किलोमीटर सेक्शन पर 180 की स्पीड से दौड़ाया।

आरडीएसओ के निदेशक मेजर प्रशांत प्रशांत सिंह के नेतृत्व में हो रहे इस स्पीड ट्रायल में शाम को ट्रेन को 49 किलोमीटर के रूट पर दौड़ाया जाएगा। ट्रेन-18 देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन है। इससे पहले कल आरडीएसओ की टीम ने शुरुआत में इसे सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ाया। इसके बाद इसको आज अधिकतम 160 किमीलोटर प्रति घंटे तक चलाने की योजना थी, लेकिन इसको 180 की गति पर दौड़ा दिया गया। ट्रेन-18 का ट्रायल चार 4 जनवरी तक शामगढ़, कोटा, सवाई माधोपुर रेलखंड के बीच किया जाएगा। जिनमें इसके बाद 10 जनवरी को इसकी उपयोगिता रिपोर्ट जारी होगी।

इस ट्रेन को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चैन्नई ने बनाया है। ट्रेन का रैक करीब 100 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। यह गाड़ी अधिकतम 180 किलीमोटीर प्रति घंटे की गति से चल सकती है। इसे कोच के साथ पूरी तरह से वातानुकुलित बनाया गया है। ट्रेन में प्रत्येक छोर पर एरो डायनामिक ड्राइवर केबिन लगे हैं। इसके हर कोच का रंग सफेद और नीला है। ट्रेन के प्रत्येक कोच में स्वचालित दरवाजे लगे हैं, जो आप्टिकल सेंसर के अनुसार खुलते और बंद होते हैं। गाड़ी की सीटों को यूरोपियन शैली में बनाया गया है। सीटों में जो कपड़े लगे हैं, वे धूल और आग प्रतिरोधी हैं। कुर्सियों की एक खास विशेषता यह है कि इसे 180 डिग्री तक घुमाया जा सकता है। 

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