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डॉ. नवजोत कौर सिद्धू विपक्ष के निशाने पर हैं। उनका एक वीडियो जारी कर दावा किया….

 शहर के जोड़ा फाटक के पास हुए हादसे को लेकर राजनीति तेज हो गई है और पूरी राजनीति का केंद्र सिद्धू दंपती है। धोबीघाट मैदान में शुक्रवार को दशहरा पर्व कार्यक्रम के दौरान हुए रेल हादसे को लेकर पूर्व संसदीय सचिव डॉ. नवजोत कौर सिद्धू विपक्ष के निशाने पर हैं। हालांकि वह बयान दे चुकी हैं कि जब हादसा हुआ, वह वहां से जा चुकी थी। लेकिन, अब उनका एक वीडियो जारी कर यह दावा किया जा रहा है जब हादसा हुआ उस समय वह वहां मौजूद थीं और मंच पर लोगों के साथ सेल्‍फी खिंचवा रही थीं। दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि सिद्धू दंपती को जानबूझ कर टारगेट बनाया जा रहा है। यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हाे रहा है।

वीडियो वायरल कर विरोधियों का दावा- हादसे के समय मंच पर मौजूद थीं नवजोत कौर, सेल्‍फी खिंचवा रही थीं

53 सेकेंड के वायरल हुए इस वीडियो में दिखाया जा रहा है कि जब हादसा हुआ डॉ नवजाेत कौर सिद्धू मंच पर मौजूद थीं और तभी अनाउंसर ने कहता सुनाई पड़ता है ‘ट्रेन थल्ले आके बड़े बंदे मर गए नें।’ (ट्रेन के नीचे आकर लोग मर गए हैं)। विपक्षियाें का कहना है कि उसी दौरान डॉ. सिद्धू व आयोजक सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू मदान वहां से चले गए।

इस वायरल हाे रहे वीडियो में दिखाया गया है कि रावण दहन हो रहा है और अनांउसर मेले में आने वाले लोगों का मदान परिवार की तरफ से धन्यवाद कर रहा है। मंच पर बैठीं डाॅ. नवजोत कौर सिद्धू लोगों के साथ सेल्फी खिचवा रही हैं। अनांउसर पंजाबी गायक बूटा मुहम्मद की तारीफ करनी शुरू ही करता है कि उसकी जुबान लडख़ड़ा जाती है। वह बोलता है ‘ ट्रेन थल्ले आके काफी बंदे मर गए नें। बहुत बंदे मर गए नें, मिट्ठू भाजी ओदर ध्यान देयो। ट्रेन लंघ गई बंदेयां दे उपरों, प्लीज… क्वाइट। बंद कर देयो सारा कुछ। बंद कर देयो साउंड।। इसके बाद लोग इधर-उधर भागना शुरू हो जाते हैं और आयोजक भी मंच से चले जाते हैं।

विपक्षियों का कहना है कि वीडियो से साफ है कि जब हादसा हुआ डाॅ. नवजोत कौर सिद्धू आैर दशहरा कमेटी ईस्ट के प्रधान व पार्षद के पुत्र सौरभ मदान अपने साथियों सहित मंच पर ही मौजूद थे। इसके बाद हादसे के शिकार लोगों की मदद करने की बजाए, सभी वहां से भाग खड़े हुए। पूरे प्रकरण से साफ है कि विपक्षी दल के नेताओं के निशाने पर भी डाॅ. सिद्धू और उनके पति व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ही हैैं। वहीं मिट्ठू मदान को लेकर भी खूब बयानबाजी हो रही है।

धोबीघाट मैदान में 25 साल से मनाया जा रहा था यहां दशहरा कार्यक्रम

धोबीघाट के मैदान में 25 साल से दशहरा पर्व मनाया जाता रहा है। दशहरा कमेटी का गठन वसीका मंगतराम सिल्ली ने किया था। उसके बाद पूर्व पार्षद परमिंदर तुंग की देखरेख में दशहरा मनाया जाता रहा। कभी इतना बड़ा आयोजन नहीं हुआ। 20-25 फुट के पुतलों का यहां दहन किया जाता है। बकायदा रेलवे को इसकी जानकारी दी जाती थी, ताकि कोई हादसा न हो। पिछले दो साल यहां दशहरा नहीं मनाया गया। इस बार कैबिनेट मंत्री सिद्धू के खास मिट्ठू ने बड़ा आयोजन किया और रेलवे को इसकी सूचना तक नहीं दी गई।

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 मोदी सरकार के इशारे पर सिद्धू को किया जा रहा टारगेट : जाखड़

दूसरी आेर, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा है कि केंद्र सरकार के इशारे पर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्‍नी को सोची समझी साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाए केंद्र सरकार की शह पर रेलवे राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने अमृतसर रेल हादसे में अपने विभाग को क्लीन चिट दी है। अगर दशहरा कार्यक्रम में सिद्धू परिवार की शमूलियत न होती तो रेलवे बिना जांच अपने विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को क्लीन चिट ना देता।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए जाखड़ ने कहा कि सिन्हा का रेलवे की जिम्मेदारी से उसी रात को पल्ला झाड़ लेना यह साबित करता है कि साजिश के तहत सिद्धू परिवार के राजनीतिक वजूद को चोट पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाए कि डीएमयू ट्रेन के ड्राइवर ने समय रहते इमरजेंसी ब्रेक क्यों नहीं लगाई? जाखड़ ने कहा कि पत्थर मारने की आशंका के चलते गाड़ी भगाकर स्टेशन ले जाने का ड्राइवर का बयान भी झूठ है, हादसे के बाद जब लोगों को घंटों तक खुद की होश नहीं थी, तब पत्थर मारने की बातें तो मनघडंत हैं।

जांच की घोषणा के बिना क्लीन चिट देना गलत

जौड़ा फाटक गेटमैन ने रेलवे स्टेशनों के अधिकारियों को अलर्ट क्यों नहीं किया? ग्रीन सिग्नल क्यों दिए गए? जब उन्हें मालूम था कि 200 मीटर की दूरी पर कार्यक्रम चल रहा है। रेलवे द्वारा क्वेशनरी नोट क्यों नहीं जारी किया गया? डीएमयू की हेडलाइट भी नहीं थी, हॉर्न सही न होने से हॉर्न ऊंची आवाज में बजा ही नहीं। 110 की रफ्तार से डीएमयू क्यों यहां से गुजरी, डीएमयू की तो रफ्तार ही 30-40 होती है। ट्रेन ड्राइवर का मेडिकल चेकअप क्यों नहीं हुआ।

जाखड़ ने कहा कि आखिरकार मनोज सिन्हा को क्या ऐसी क्या जल्दी थी कि उच्च स्तरीय जांच की घोषणा के बिना ही छह घंटे के भीतर रेलवे को क्लीन चिट दे दी? उन्होंने कहा, दशहरा दहन कार्यक्रम बड़ा आयोजन था, जीआरपी क्यों ट्रैक पर तैनात नहीं की गई, पंजाब पुलिस द्वारा रेलवे को सूचित करने पर जीआरपी जवान वहां क्यों नहीं पहुंचे। क्यों लोगों को ट्रैक पर जाने से नहीं रोका गया, जबकि आयोजक ही नहीं नवजोत कौर सिद्धू ने खुद भी छह बार ट्रैक से हटने की अनाउंसमेंट करवाई थी।

की जा रही है ओछी राजनीति

जाखड़ ने डॉ. नवजोत कौर सिद्धू  व मिठ्ठू मदान के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग पर स्पष्ट किया कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल एवं भाजपा प्रधान श्वेत मलिक मारे गए लोगों की चिताओं पर राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को मंत्री पद से हटाने अथवा सस्पेंड करने की मांग ओछी राजनीति का सबूत है। मृतकों के रस्म चौथा एवं प्रार्थना सभा के बाद वह सुखबीर व मलिक के प्रत्येक सवाल का जवाब बाखूबी देंगे।

सिटिंग जज अथवा अन्य एजेंसी से निष्पक्ष जांच की मांग ठुकराई

जाखड़ ने उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की उस मांग को ठुकरा दिया है जिसमें बादल ने रेलवे हादसे की सिटिंग जज अथवा अन्य किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाने की मांग की है।

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