Main SlideUncategorizedउत्तर प्रदेशउत्तराखंडखबर 50जम्मू कश्मीरट्रेंडिगदिल्ली एनसीआरदेशप्रदेशबिहारबड़ी खबरमध्य प्रदेशविदेशवीडियो

दिल्ली: अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डॉक्टर, आज अस्पतालों में नहीं होगा इलाज और सर्जरी

नई दिल्ली -नैशनल मेडिकल कमिशन बिल के खिलाफ दिल्ली के 15 हजार रेजिडेंट डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन स्ट्राइक की घोषणा कर दी है। इसकी वजह से आज दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में मरीजों को न इलाज मिल रहा है और न ही कोई सर्जरी हो रही है। इमरजेंसी भी बंद है। इसकी वजह से सुबह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग नहीं मानी, तो आगे भी इलाज में इसी तरह की दिक्कतें आने वाली हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों ने एनएमसी बिल को लेकर आरपार की लड़ाई शुरू कर दी है और केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि हर हाल में इस बिल को संशोधित करना होगा, वरना डॉक्टरों की यह स्ट्राइक इसी तरह जारी रहेगी।

सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग, एलएनजेपी सहित दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने केंद्र सरकार की इन नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। गुरुवार को ही राज्यसभा में इस बिल को रखा जाना है। एक तरफ सरकार संसद में इस बिल पर चर्चा करेगी और वहीं बाहर हजारों डॉक्टर अपने काम बंद कर दिल्ली की सड़कों पर हैं। दिल्ली में अकेले एम्स में दस हजार मरीज आते हैं, इसी तरह सफदरजंग में सात से आठ हजार, आरएमएल में छह से सात हजार, एलएनजेपी में आठ से नौ हजार मरीज आते हैं। अनुमान है कि स्ट्राइक की वजह से लगभग 50 हजार मरीज परेशान होंगे और हजारों लोगों की में सर्जरी नहीं हो पाएगी।

लोकनायक अस्पताल में पहले पर्चे बन गए। फिर गार्ड्स ने आकर कहा कि हड़ताल है, इलाज नहीं होगा। (पर्चा दिखाते शख्स की तस्वीर)

इस बारे में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉक्टर अमरिंदर सिंह ने कहा कि हमारी अनिश्चितकालीन स्ट्राइक है। अब जब तक हमारी मांग नहीं मानी जाती है यह स्ट्रइक चलेगी। वहीं, फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स

असोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉक्टर सुमेध ने कहा कि यह आरपार की लड़ाई है। हम किसी भी सूरत में इस बिल को पास नहीं होने देंगे, इससे डॉक्टर कम्युनिटी पर बुरा असर पड़ने वाला है। यही नहीं, यह समाज के लिए भी उतना ही खतरनाक है।
सुमेध ने आगे कहा, ‘अगर एक नॉन मेडिकल इंसान किसी को दवा लिखेगा, तो उसकी जान जानी तय है। सरकार इस बिल के जरिए ऐसे लोगों को दवा लिखने यानी इलाज करने का लाइसेंस दे रही है, जो गांव और सुदूर इलाके में गरीब मरीजों का इलाज करेंगे। सरकार इनसे इलाज कराने वाले लोगों की जिंदगी दांव पर लगा रही है। हम सरकार से अपील करते हैं कि क्या वो ऐसे लोगों से अपना या परिवार का इलाज कराएंगे। ये लोग अपना इलाज बेस्ट डॉक्टर और बेस्ट हॉस्पिटल में कराते हैं और आम लोगों को नॉन मेडिकल लोगों के भरोसे छोड़ देते हैं।’

बिल पर विरोध क्यों

बिल के तहत 3.5 लाख नॉन मेडिकल लोगों को लाइसेंस देकर सभी तरह की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे हैं। इसके बारे में आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनू सेन ने अपने बयान में कहा है कि विधेयक की धारा 32 नहीं हटाई गई, तो सरकार ‘अपने हाथ खून से रंगेगी।’

Related Articles

Back to top button