बिहार

दैनिक जागरण के कृषि महासमागम में बोले कृषि मंत्री

बिहार में किसानी को लेकर बड़े सरोकार की चर्चा के साथ एक दिसंबर से चल रहे कृषि महाअभियान के पहले चरण का समापन रविवार को पटना में आयोजित ‘कृषि महासमागम’ के साथ हो रहा है।

 

पटना के होटल मौर्या में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले सत्र का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने किया। यह कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित है। दूसरे सत्र में सभी जिलों से आए किसानों से विमर्श होगा। पहले सत्र मे केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के साथ बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार भी मौजूद हैं।

राधामोहन सिंह ने कृषि योजनाओं की दी जानकारी 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि जैविक खेती में बिहार आगे बढ़ा है। देश मे जैविक खेती के विकास के लिए किसान आगे आ रहे हैं। उन्होंने पिछले साढ़े चार वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा किसानों और खेती के लिए लागू की गई योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

बिहार में अब सामूहिक खेती को बढ़ावा: डॉ. प्रेम कुमार

बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि दैनिक जागरण ने बिहार में कृषि के साथ पर्यावरण व साफ-सफाई के क्षेत्र में भी बेहतर काम किया है। राज्य सरकार ने कृषि विकास के लिए अब तक तीन रोड मैप बनाये हैं। 2012 में चावल, 2013 में गेंहू और 2014 में मक्का के विकास के लिए केंद्र सरकार ने बिहार को कृषि कर्मण पुरस्कर से सम्मानित किया है। 

उन्‍होंने कहा कि राज्य सरकार अब सामूहिक खेती को बढ़ावा दे रही है। हमने खाद सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए हैं। सामूहिक खेती से किसानों की लागत में कमी आएगी। हम मशीनों के प्रयोग को भी बढ़ावा दे रहे हैं। अब हम बदलते मौसम और कम पानी की खेती पर ज़ोर दे रहे हैं, ताकि खेत का पानी खेत, घर का पानी घर मे रहे।मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि दक्षिण बिहार के 17 जिलो में जल संचय के लिए कई कदम उठाये गए हैं। राज्य में अभी 50 फीसदी सिंचाई की व्यवस्था है। इसमें वृद्धि के लिए डीपीआर बना रहे हैं। राज्य सरकार स्वायल हेल्थ कार्ड बांट रही है, ताकि किसानों के खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य बना रहे। 

उन्‍होंने आगे कहा कि समेकित कृषि प्रणाली और किसानों के कौशल विकास के लिए भी काम हो रहे हैं। पुरानी जटिल प्रणाली के स्थान पर नई प्रणाली के लिए किसानों का निबंधन किया जा रहा है। बिहार की सभी पंचायतों में कृषि कार्यालय खोले जा रहे हैं। 13 जिलो के लिए 12 तरह की फसलों का  चयन किया गया है। अगले साल से इस योजना पर काम शुरू होगा। 

कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रयास है कि देश के हर व्यक्ति की थाली में बिहार का एक व्यंजन हो। उस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है। पटना से भागलपुर के नौ जिलों में जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। 
मंत्री ने कहा खेतो में पराली जलाने से पर्यवरण को नुकसान तो हो ही रहा है, मिट्टी की सेहत भी खराब हो रही है। उन्‍होंने आवाह्न किया कि किसान पराली खेत में न जलाएं। 
बिहार के विकास के लिए कृषि को दें बढ़ावा: विजेंद्र यादव 

कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि बिहार के लोगों को स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए। बिहार में सिंचाई के लिए ग्राउंड वाटर की कोई कमी नहीं है। बिहार के विकास के लिए कृषि को बढ़ावा देना होगा। इंसान के जिंदा रहने लिए खेती को और बढ़वा देने की जरूरत है। कृषि से संबंधी एलायड खेती भी कृषि रोड मैप का हिस्सा है।

मंत्री ने कहा कि सराकर ने बिजली को खेतों से जोडने का फैसला किया है। बिना पावर के अच्छी जिंदगी की कल्पना नही की जा सकती, इसलिए खेत को बिजली से जोड़ने का फैसला किया गया। राज्य सरकार जी एग्रीकल्चर फीडर निर्माण की योजना का उद्देश्य यही है। हमारा लक्ष्‍य 2019 दिसम्बर तक खेतो को बिजली से जोड़ दिए जाने का हमारा लक्ष्य है। 
उन्‍होंने केंद्र से मांग की कि वह बिहार की जो उपेक्षा हुई है उसकी भरपाई के लिए राज्‍य को विशेष तवज्जो दे। 
जो उपजाए अन्न वह क्यों न हो संपन्न

पिछले 75 साल में ‘दैनिक जागरण’ ने अनेक मुकाम हासिल किए हैं। भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी आस्था के साथ लोक चिंता हमारा ध्येय है। ‘जो उपजाए अन्न वह क्यों न हो संपन्न’ संपादकीय महाअभियान के तहत सभी 38 जिलों में कृषकों की समस्याओं का अध्ययन और स्थानीय स्तर पर उसके निराकरण की पहल जागरण के सरोकार की कड़ी है। इसके तहत ही 380 जगहों पर किसानों के बीच जाकर चौपाल लगाई गई। काफी संख्या में विषय विशेषज्ञ और अनुभवी किसानों के साथ कृषकों का संवाद कराया गया। तीस हजार किलोमीटर का सफर कृषि जागरूकता रथ ने किया।

दो करोड़ लोगों के साथ हुआ संवाद

करीब दो करोड़ लोगों के साथ किसी न किसी रूप में इस महाअभियान से जुड़ा संवाद कायम हुआ। कोशिश यह हुई कि नवाचारी कृषि को बढ़ावा दिया जाए। ‘दैनिक जागरण’ ने काफी संख्या में उन किसानों की कहानी प्रकाशित की जो अनेक झंझावातों के बाद भी प्राणपण से किसानी में जुटे हैं और सफलता के नित नए आयाम रच रहे हैं।

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