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पंजाब में हो सकते हैं और आतंकी हमले

पंजाब में आतंक फैलाने का कश्मीरी पैटर्न अपनाया जा रहा है। नया मॉड्यूल हैंड ग्रेनेड के रूप में निकलकर सामने आया है। पुलिस के लिए फिलहाल हैंड ग्रेनेड से हमले के बचाव का कोई विकल्प नहीं है। खालिस्तानी आतंकियों ने पाकिस्तान मेड एचजी-84 हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल पंजाब में दो वारदातों में करके सिद्ध कर दिया है कि अभी शुरुआत है।

पुलिस के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है कि आतंकियों के इस मॉड्यूल का जवाब कैसे दें। अगर यह सिलसिला आगे भी चलता रहा, तो आने वाले समय में पंजाब में और धमाकों की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अभी तक पंजाब पुलिस केवल 6 हैंड ग्रेनेड ही रिकवर कर पाई है, जबकि सूचना है कि इनकी बड़ी खेप में पंजाब में पहुंच चुकी है।

सुरक्षा एजेंसियों व पंजाब पुलिस में तालमेल की कमी के चलते आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं। बीते छह माह में पंजाब पुलिस ने खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े 28 से ज्यादा कट्टरपंथियोंऔर डेढ़ माह में 9 कश्मीरी आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इसके बावजूद आतंकी जालंधर के मकसूदां थाने व अमृतसर में निरंकारियों के समागम पर हमला करने में कामयाब रहे हैं।

 

रेफरेंडम 2020 की चुनौती

अगर क्रेडिट वॉर को किनारे छोड़कर पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने एकसाथ पंजाब में पैर पसार चुके आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब नहीं दिया, तो आने वाले समय में हर प्रकार के आतंकवाद का सामना करने को लेकर तैयार पंजाब पुलिस की मुश्किलें बढऩा तय है। विदेश से फंडिंग व रेफरेंडम 2020 को भले ही सरकार ने गंभीरता से न लिया हो, लेकिन अब इसे लेकर लापरवाही बरतना सही नहीं होगा।

पाकिस्तानी एजेंसी आइएसआइ के समर्थन से चलाए जा रहे रेफरेंडम 2020 को लेकर आज भी अभियान से जुड़े सदस्य खुलेआम प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं और बयान जारी कर रहे हैं। स्वतंत्र भारत में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन देश की सुरक्षा पर जब सवालिया निशान लग रहा हो एजेंसियों ने पहले ही अलर्ट जारी कर रखा है, तो ऐसे अभियान पर सरकार की चुप्पी समझ से परे है। खालिस्तान बनाने की मांग को लेकर कई देशों में रेफरेंडम 2020 की मुहिम जोर पकड़ रही है।

कश्मीर में सुरक्षाबलों पर इस्तेमाल हो रहा एचजी-84

ऑस्ट्रिया की सेना की ओर से तैयार किया गया एचजी सिरीज का हैंड ग्रेनेड एचजी-84 अब पाकिस्तानी सेना अपनी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में भी तैयार कर रही है। कश्मीर में आतंकियों व कश्मीर की आजादी की मांग करने वालों की तरफ से इसी हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल सेना व सुरक्षा बलों पर कई बार किया जा चुका है। प्लास्टिक कोटेड इस हैंड ग्रेनेड का निर्माण ही इस प्रकार से किया गया है कि यह हथेली में आसानी के साथ पकड़ में आ जाता है और इसे फेंकने के लिए ग्रिप भी अच्छी बन जाती है, जिसके चलते इसे ज्यादा दूरी तरह फेंका जा सकता है।

पाकिस्तानी सेना ने ऑस्ट्रिया से इसके निर्माण की तकनीक चुरा कर एक कदम आगे निकलकर एचजी-84 पी2ए1 हैंड ग्रेनेड तैयार किए हैं। इन्हें आतंकियों की कोड भाषा में आलू के नाम से जाना जाता है। हल्के होने के कारण इन्हें आसानी से 25 मीटर से 50 मीटर तक फेंका जा सकता है। जमीन पर गिरने के बाद यह आस-पास के 10 मीटर के इलाके में पहले काफी धुआं छोड़ता है। उसके 3 से 5 सेकेंड बाद ब्लास्ट करता है। कश्मीर के बाद इसका इस्तेमाल पहली बार पंजाब में आतंकी वारदातों में किया जा रहा है। यह पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। सर्दी के मौसम में आम तौर पर जैकेट में इसे रखने में कोई परेशानी नहीं है। किसी की पूरी तलाशी लेने के बाद ही इसे पकड़ा जा सकता है। पुलिस वाहनों की चेकिंग कर सकती है, लेकिन सभी लोगों की फिजिकल चेकिंग कर पाना भी बड़ी चुनौती है।

नए सिरे से आतंकवाद फैलाने की कोशिश

तीन माह पहले आइएसआइ के इशारों पर खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े वाधवा सिंह बब्बर, परमजीत सिंह पंजवड़ व हैप्पी पीएचडी और पाक गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गोपाल सिंह चावला की बैठक पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में हो चुकी है। उसके बाद ही पंजाब में नए सिरे से आतंकवाद फैलाने का रोडमैप तैयार किया गया था। खालिस्तानी आतंकियों के बारे में पंजाब पुलिस को भी खासी जानकारी है।

ये आतंकी कम पढ़े-लिखे होने के कारण सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों का बखूबी इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन पंजाब में आतंकियों का नेटवर्क तैयार करने के लिए कश्मीरी आतंकी जाकिर मूसा को आइएसआइ ने खालिस्तानी मूवमेंट को आगे बढ़ाने वालों की सहमति से पंजाब में आतंक फैलाने की जिम्मेवारी सौंपी है। इसकी जानकारी केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को भी है। वहीं से पंजाब को अलर्ट भी जारी किया गया था।

इसके बाद खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े 28 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन मूसा की ओर से मुजफ्फराबाद के ट्रेनिंग कैंप में तैयार किए बब्बर खालसा के आतंकियों के नए चेहरों के बारे में पुलिस को भी जानकारी नहीं है।

 

ब्लैक लिस्ट में शामिल कट्टरपंथियों पर आज तक कारवाई नहीं

पंजाब में काले दौर के खत्म होने के बाद पंजाब सरकार की ओर से तैयार की गई 220 कट्टरपंथियों की ब्लैक लिस्ट पर आज तक सरकार ठोस फैसला नहीं कर सकी है। लिस्ट में शामिल सभी कट्टरपंथियों को पंजाब व देश से बाहर निकलने में भी पुलिस के ही तत्कालीन कुछ आला अधिकारियों ने मदद की थी। इन अधिकारियों की दूसरी जेनरेशन के विदेश में टूर के दौरान इनकी आवभगत करने वालों में यही कट्टरपंथी सबसे आगे रहते हैं।

शायद यही वजह है कि जब-जब आतंकी वारदातों का अंदेशा होता है तब-तब ब्लैक लिस्ट की याद राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक को आ जाती है। उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। बीते समय कनाडा सरकार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नौ कट्टरपंथियों की लिस्ट सौंपी थी। अनधिकृत तौर पर सौंपी गई इस लिस्ट को लेकर केंद्र व राज्य सरकार आमने-सामने भी हुई थीं, लेकिन आज तक उस लिस्ट में शामिल कुछ नामों के खुलासे के अलावा और कुछ हासिल नहीं हो सका। ऐसा पहले भी होता रहा है।

विदेशी फंडिंग से फैला रहे जाल

पंजाब में आतंक फैलाने के लिए दो तरफा फंडिंग हो रही है। हैप्पी पीएचडी, बब्बर, नीटा और पंजवड़ को हो रही फंङ्क्षडग आइएसआइ के जरिए मूसा तक पहुंचाई जा रही है। फंडिंग का दूसरा मॉड्यूल सोशल मीडिया के जरिए खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े युवाओं को टारगेट करके डायरेक्ट फंडिंग करना है। इस काम में हवाला की मदद ली जा रही है। हवाला कारोबार से जुड़े लोगों की पंजाब में कमी नहीं है।

 

यूरोप, कनाडा सहित तमाम देशों में बैठे कट्टरपंथियों की ओर से रोजाना करोड़ों रुपये हवाला कारोबारियों के जरिये पंजाब भेजे जाते हैं। इनकी स्कैनिंग कर पाना भी पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। पंजाब में बीते कुछ सालों में की गई विभिन्न धार्मिक नेताओं की हत्याओं (टारगेट किलिंग) का पर्दाफाश करने के बाद कांग्रेस सरकार को इसकी जानकारी मिल गई थी। जर्मनी, कनाडा व यूके से इन नेताओं की हत्या के लिए शूटर्स को लाखों रुपये की फंडिंग की गई थी। रक्षिंवदर गोसाईं व पास्टर सुल्तान मसीह की हत्या के आरोपित शेरा को भी विदेश से ही फंडिंग की गई थी। शेरा को टारगेट दिया जाता था। वह एक हत्या के बाद विदेश निकल जाता था। पंजाब पुलिस ने इस मामले की जांच एनआइए को सौंपने के बाद अपना पल्ला झाड़ लिया था।

विजिटर वीजा पर बढ़ी रिफ्यूजी स्टेटस की मांग

यह बात खुली सच्चाई है कि खालिस्तानी कट्टरपंथियों के लिए हमेशा से विदेशी धरती सुरक्षित पनाह रही है। पंजाब से विजिटर वीजा पर बड़ी संख्या में कनाडा जाने वाले लोगों ने वहां पर रिफ्यूजी स्टेट्स मांगा है। इसके लिए तर्क दिया जा रहा है कि वे अलगाववादी संगठनों का समर्थन करते हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।

कनाडा की एक एजेंसी के अनुसार इस साल रिफ्यूजी स्टेटस के दावों की संख्या 39 फीसद बढ़ गई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि भारतीयों के आवेदनों में 246 फीसद तक वृद्धि हुई है। 2018 में ही जनवरी से जून तक 1805 क्लेम दाखिल किए गए हैं। विदेश में बसी बड़ी सिख आबादी रेफरेंडम 2020 का भी समर्थन कर रही है।

मकसूदां थाने व अमृतसर में हुए हमले आतंकी हमले थे। इनके पीछे आइएसआइ का हाथ है, लेकिन पंजाब में आतंकी किस मॉड्यूल में आतंक फैलाने की साजिश रच रहे हैं, इसका खुलासा अभी नहीं किया जा सकता है। पुलिस और खुफिया व सुरक्षा एजेंसियां मिलकर ऑपरेशन में जुटी हैं। आतंकियों के मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।

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