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पूर्व जज, नेता, राज्य सरकारें, जानें आधार पर किसने दायर की थी याचिका

आधार की अनिवार्यता पर बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने आधार को शर्तों के साथ संवैधानिक करार दिया है. ये मामला पिछले काफी समय से कोर्ट में चल रहा था. इस मामले पर याचिका दायर करने वालों में समाज के कई तबकों की बड़ी हस्तियां शामिल थीं.

किसने दी थी चुनौती?

केंद्र के महत्वपूर्ण कार्यक्रम आधार की संवैधानिक वैधता को लेकर कानूनी लड़ाई में उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सामाजिक कार्यकर्ता, नेता और कुछ राज्य सरकारों ने उच्चतम न्यायालय का रूख किया था.

कानून की वैधता को चुनौती देने वालों में पहले और अग्रणी याचिकाकर्ता न्यायमूर्ति के एस पुत्तास्वामी (92) थे. उन्होंने अपनी दलीलों के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की सेवाएं लीं.

कुल 31 याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, माकपा के वरिष्ठ नेता वी एस अच्युतानंदन और भाकपा नेता बिनय विश्वम भी थे जिन्होंने आधार के विभिन्न पहलुओं को चुनौती दी.

न्यायमूर्ति पुत्तास्वामी ने अक्टूबर 2012 में उच्चतम न्यायलय का रूख किया था. उस वक्त संप्रग-दो सत्ता में थी. सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय ने आधार के लिए बायोमेट्रिक संग्रह को चुनौती दी थी.

सैन्य कर्मी रह चुके एक्टिविस्ट मेजर जनरल सुधीर जी वोम्बटकेरे ने उच्चतम न्यायालय का रूख कर कहा था कि आधार के जरिए सरकार को लोगों की निगरानी की अनूठी ताकत मिल गई है.

मैगसेसे पुरस्कार विजेता और बाल अधिकार कार्यकर्ता शांता सिन्हा भी याचिकाकर्ताओं में शामिल थीं. कार्यकर्ता और सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापकों में एक और राष्ट्रीय संयोजक बेजवडा विल्सन भी मामले में याचिकाकर्ता थे. इन सभी के अलावा पश्चिम बंगाल सरकार ने भी आधार कार्यक्रम को चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया लेकिन उसने बैंक खाते, मोबाइल फोन और स्कूल दाखिले में आधार अनिवार्य करने सहित कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बहुमत के आधार पर दिये अपने फैसले में आधार को आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनाने के लिए अनिवार्य बताया. हालांकि, अब आधार कार्ड को बैंक खाते से लिंक करनाजरूरी नहीं है और मोबाइल फोन का कनेक्शन देने के लिए टेलीकॉम कंपनियां लोगों से आधार नहीं मांग सकतीं.

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