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भारत ने पाकिस्तान को पटखनी देने के लिए बनाई रणनीति,

पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेएएम) द्वारा जम्मू कश्मीर में किए गए आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस (सीआरपीएफ) के 40 जवानों के शहीद होने के बाद सरकार बदले के मूड में आ गई है और आतंकी गतिविधियों में पाकिस्तान की मिलीभगत की पोल खोलकर उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की रणनीति में जुट गई है. सरकार अपनी रणनीति के तहत देश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर सबको अपने विश्वास में लेना चाहती है ताकि इस घटना का सैन्य स्तर पर मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

इस कायराना हमले के बाद के कदमों से यह संकेत मिलता है कि सरकार की रणनीति होगी कि आम-सहमति से बदले की कार्रवाई हो, इसलिए सरकार ने विभिन्न स्तरों पर बातचीत शुरू कर दी है और प्रतिकार के लिए सभी विकल्पों को तलाश रही है. अमेरिका, चीन रूस, कनाडा, आस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ से लेकर अफगानिस्तान, इजरायल, सऊदी अरब और इंडोनेशिया समेत दुनियाभर के देश भारत के समर्थन में आ गए हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एकजुटता जाहिर की है.

पुलवामा हमले के एक दिन बाद भारत ने शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहिम शुरू की और विदेश सचिव विजय गोखले ने राष्ट्रीय राजधानी में करीब दो दर्जन राजदूतों से मुलाकात की. भारत ने पाकिस्तान से सबसे तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा भी वापस ले लिया.

विशेषज्ञों के अनुसार, एमएफएन का दर्जा वापस लेने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक के बाद शुक्रवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विदेश मंत्रालय सारे कूटनीतिक कदम भी उठाएगा जिससे पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जा सकेगा और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र व्यापक संधि (सीसीआईटी) जल्द स्वीकार करने के लिए भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बनाएगा.

सरकार की मंशा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने से पहले भारत को सभी देशों का समर्थन मिले और उनको विश्वास में लिया जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पुलवामा हमले के दोषी आतंकी गुट छिपे नहीं रह सकते हैं और उनको सजा मिलेगी क्योंकि सुरक्षा बलों को जरूरी कार्रवाई करने की खुली छूट दी गई है.

अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अंबेसडर जॉन बोल्टन ने पहले ही भारत में अपने समकक्ष अजित डोभाल को जेएएम सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी के रूप में घोषित करने के भारत के प्रयास को समर्थन दे दिया है. वाशिंगटन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के तहत सीमापार आतंकवाद के खिलाफ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का भी समर्थन किया है.

घरेलू स्तर पर भी सरकार कोई कदम उठाने से पहले सभी हितधारकों को विश्वास में लेने की कोशिश कर रही है. सरकार ने शनिवार को इस मसले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई ताकि सरकार जो कुछ भी कदम उठाए उसे संपूर्ण राष्ट्र का समर्थन मिल सके.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद की मदद की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें कहा गया कि सभी दलों के साथ-साथ देशवासी सीआरपीएफ के शहीद जवानों के परिवार के साथ खड़ा है.

सरकार की कोशिशों का असर दिखने लगा है कि पाकिस्तान को इस्लामाबाद में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों (पी-5) के राजदूतों से मिलने को मजबूर किया. सूत्रों के अनुसार, विदेश सचिव ने पी-5, दक्षिण एशिया के सभी देश और जापान, जर्मनी, कोरिया जैसे साझेदार समेत 25 राजदूतों से मुलाकात की.

पी-5 में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि एमएफएन का दर्जा वापस लेने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर होगा.

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