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लखनऊः पता गलत, लौटे साढ़े छह हजार ई-चालान, अब जारी होंगे वॉरंट

आरटीओ में पंजीकृत पते वाला मकान बदल चुके हजारों गाड़ी मालिक दो महीने बाद फरार अपराधियों की सूची में शामिल हो सकते हैं। कोर्ट ऐसे लोगों को वांछित घोषित करके वॉरंट जारी कर सकता है। करीब तीन महीने में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले साढे छह हजार वाहन स्वामियों का ई-चालान गलत एड्रेस के कारण वापस आ चुका है। नैशनल इंफार्मेशन सेंटर को ई-कोर्ट साथ जोड़ा जा रहा है। करीब दो महीने में प्रकिया पूरी होते ही लंबित चालान कोर्ट पहुंच जाएंगे। इसके बाद गाड़ी मालिकों के खिलाफ वॉरंट जारी होने लगेंगे।

यातायात नियमों का उल्लंघन रोकने के लिए ई-चालान की प्रक्रिया 18 जनवरी से चल रही है। इसके तहत लखनऊ ट्रैफिक पुलिस 16 अप्रैल तक 65 हजार गाड़ियों का ई-चालान कर चुकी है। 26,433 चालान की डाक से भेजे गए थे, जिसमें 6655 चालान सही पता न मिलने की वजह से वापस आ गए। इतना ही नहीं कई लोग पते के साथ ही रजिस्ट्रेशन के समय दर्ज करवाया गया मोबाइल नंबर भी बदल चुके हैं।

एएसपी ट्रैफिक पूर्णेंदु सिंह के अनुसार एनआईसी को ई-कोर्ट से जोड़ने करने का काम चल रहा है। करीब दो महीने में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद एनआईसी के जरिए लंबित चालान ऑनलाइन ई-कोर्ट में दाखिल कर दिए जाएंगे। इतने लंबे समय से चालान कटने के बावजूद शमन शुल्क न जामा करने वाले वाहन स्वामियों के खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी होगा। अब तक वापस आए चालानों से अनुमान लगाया जा रहा है कि एनआईसी और ई-कोर्ट के जुड़ने तक यह संख्या 20 हजार के ज्यादा हो जाएगी। ऐसे वाहन स्वामियों का नाम अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो में दर्ज हो जाएगा और मोटरयान अधिनियम में सामान्य अपराध के दोषी वांछित हो जाएंगे। ऐसे मामलों के निस्तारण में कोर्ट को भी काफी समय लगेगा। इस समस्या से निपटने के लिए वाहन स्वामियों का पता लगाने के लिए आरटीओ को पत्र भेजा गया है।

एएसपी ट्रैफिक ने बताया कि ई-चालान को वाहन स्वामी तक पहुंचाने के लिए अब तक 85 हजार रुपये डाक विभाग को दिए जा चुके हैं। इसमें करीब 60 हजार रुपये से ज्यादा खर्च हो चुका है। जबकि केवल 8,144 लोगों ने ही शमन शुल्क जमा किया है। एक चालान भेजने पर बीस रुपये खर्च हो रहे हैं। पता न मिलने पर काफी नुकसान हो रहा है। इससे बचने के लिए थानों के जरिए चालान भेजे जा रहे हैं। इससे अब तक 27 लाख रुपये शमन शुल्क वसूला जा चुका है।

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