उत्तराखंड

शौचालय में डिलीवरी की जांच का शिगूफा, हालात सुधारने को उठाएंगे ये कदम

दून महिला अस्पताल में शौचालय में डिलीवरी के बाद नवजात की मौत के मामले में एक बार फिर जांच का शिगूफा छोड़ा गया है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने इस मामले में प्राचार्य से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अधिकारी दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का राग जरूर अलाप रहे हैं, पर इसके साथ ही नवजात की मौत के पीछे कई स्वास्थ्य कारण भी गिना दिए हैं। अस्पताल प्रशासन को इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई। सुधार के नाम पर फिर वही बातें दोहराई जा रही हैं जिन पर पिछले दो-ढाई साल से कुछ नहीं हुआ। 

चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अस्पताल की तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लिया और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता, महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी व विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी के साथ बैठक की। 

अस्पताल प्रशासन की ओर से निदेशक को बताया गया कि महिला को 35 सप्ताह का प्रसव था। अल्ट्रासाउंड में पाया गया कि गर्भस्थ शिशु के फेफड़े आदि सही ढंग से विकसित नहीं हो पाए है। इसी कारण गर्भवती को कुछ इंजेक्शन, दवाएं दी जानी थी। इस कारण उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। प्रसव जैसे लक्षण महिला में दिखाई नहीं दे रहे थे। चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने प्राचार्य से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही जिस भी स्तर पर गलती हुई है, दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। 

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