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समानता का अधिकार देने वाला आर्टिकल 15 आखिर है क्या

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लेखक-निर्देशक अनुभव सिन्हा एक बार फिर अहम मुद्दे पर फिल्म लेकर आए हैं- आर्टिकल 15। बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना के लीड रोल वाली यह फिल्म यूं तो रिलीज के पहले से ही विवादों में थी, लेकिन शुक्रवार को फिल्म के रिलीज होते ही विरोध और बवाल बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में कई शहरों में कई संगठनों ने विरोध किया। कानपुर से लेकर रुड़की तक और बरेली से लेकर दिल्ली तक यह विरोध पहुंच चुका है। एक संगठन  के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आर्टिकल 15′ आखिर है क्या?  तो आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे मेंः
संविधान में आर्टिकल का तात्पर्य अनुच्छेद से होता है। आर्टिकल 15 के बारे में जानने से पहले थोड़ा संविधान के बारे में जान लेते हैं। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें 25 भागों और 12 अनुसूचियों में 449 अनुच्छेद (आर्टिकल) शामिल हैं।यह देश का सर्वोच्च कानून है और यह मौलिक अधिकार, निर्देश सिद्धांत, नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को स्थापित करते समय मौलिक राजनीतिक संहिता, संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों और सरकारी संस्थानों के कर्तव्यों का निर्धारण करने वाले ढांचे को प्रस्तुत करता है।संविधान में आर्टिकल-14 से लेकर आर्टिकल-18 तक हमें समता यानी कि समानता का मौलिक अधिकार देते हैं। इसी के अंतर्गत आर्टिकल 15 आता है। आर्टिकल 15 ऐसा मौलिक अधिकार है, जो यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी भारतीय नागरिक से उसके धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म-स्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं किया जाएगा। सरकार और समाज की ये जिम्मेदारी है कि वो ऐसा कोई भेदभाव होने न दे।

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