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सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई साफ इनकार कर दिया है

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायधीशों की खंडपीठ ने तीन तलाक से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई से साफ इनकार किया है।

बता दें कि तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी सरकार अध्यादेश लेकर आई है। हालांकि इसका विरोध करने वालों ने अध्यादेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकायों पर सुनवाई करने से साफ मना कर दिया है।

गौरतलब है कि 19 सितंबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने तीन तलाक (इंस्टैंट ट्रिपल तलाक) पर अध्‍यादेश को मंजूरी दे दी थी। संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था।

मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक से जुड़े बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाजत से समझौते का प्रावधन भी होगा। पीएम मोदी ने कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है। मोदी सरकार की इस पहल को कई मुस्लिम महिलाओं समेत कई संगठनों ने समर्थन किया, हालांकि एक वर्ग इसके विरोध में अब भी है।

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