उत्तराखंड

स्वच्छता के प्रति प्रेम ने रमेश भटेजा को बनाया टॉयलेट मैन

शौचालय का जिक्र होते ही चेहरों की भाव-भंगिमाएं बदल जाती हैं और लोग एकाएक नाक-मुंह को रुमाल से ढक लेते हैं। इसके विपरीत रुड़की (उत्तराखंड) के रमेश भटेजा ने शौचालयों को लेकर लोगों को जागरूक करने का जो तरीका निकाला, उसने उन्हें ‘टॉयलेट मैन’ के रूप में प्रसिद्धि दिला दी। इसके लिए रमेश भटेजा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड व इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। वह कई पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं। उन्हें ये अवार्ड विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित टॉयलेट से संबंधित खबरों की कटिंग एकत्रित करने के लिए मिले हैं। उनके पास समाचार पत्रों में प्रकाशित एक हजार से अधिक समाचारों की कतरनें हैं। 

रुड़की के रामनगर निवासी 58 वर्षीय रमेश भटेजा बीते 22 वर्षों से समाचार पत्रों में शौचालय से संबंधित जो भी खबरें छपती हैं, उनकी कटिंग कर अपने पास रख लेते हैं। अपने इस अजीबोगरीब शौक के बारे में उनका कहना है कि  इसके जरिये वह लोगों को शौचालयों की स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि शौचालय कोई गलत या गंदी जगह नहीं है। 

उसे भी घर की तरह स्वच्छ रखना जरूरी है, ताकि गंदगी से फैलने वाली तमाम तरह की बीमारियों से बचा जा सके। पत्र-पत्रिकाओं में छपी शौचालय संबंधी खबरों को एकत्रित करने के लिए ही 2017 में रमेश भटेजा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। इस रिकॉर्ड में 982 समाचारों की कटिंग लगी हैं। इसी तरह इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में उनका नाम दर्ज हो चुका है। इसमें समाचार पत्रों की 1044 कतरनें लगी हैं। यह सम्मान उन्हें 10 अक्टूबर, 2017 को दिया गया। इसके अलावा इंडियन रिकॉर्ड होल्डर्स एट वल्र्ड स्टेज के अवार्ड से भी रमेश को नवाजा जा चुका है। यह अवार्ड उन्हें नवंबर, 2017 में मिला।  

उद्योग जागरुकता के लिए स्वच्छ श्री सम्मान

केंद्रीय लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय की ओर भी रमेश को ‘स्वच्छ श्री’ अवार्ड से नवाजा गया है। औद्योगिक इकाइयों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए यह अवार्ड उन्हें मई, 2018 में प्रदान किया गया। 

प्रदर्शनी को मिली वाहवाही

रमेश 2009 में आइआइटी, रुड़की में समाचार पत्रों की कटिंग प्रदर्शनी लगा चुके हैं। इसके लिए उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला। दिल्ली में भी उनकी प्रदर्शनी ने वाहवाही लूटी। 

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