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40 साल में एक बार जल समाधि से निकलते हैं भगवान अति वरदार, दर्शन के लिए हैं 48 दिन

नई दिल्ली – भारत में जितनी विविधता है, उनते ही मान्यताएं और रीति-रिवाज भी। यहां के मंदिरों और धार्मिक स्थल से जुड़ी भी कई तरह चौंकाने वाली कहानियां हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थिति है। इस मंदिर का नाम है भगवान वरदराजा स्वामी मंदिर। यहां भगवान अती वरदार की मूर्ति भक्तों को दर्शन देने के लिए 40 साल में एक बार कुछ दिनों के लिए जल समाधि से बाहर निकलती है। आज, (बुधवार, तीन जुलाई 2019) इस मूर्ति को मंदिर के पवित्र तालाब से बाहर निकाला गया है। इसी के साथ तमिलनाडु का प्रसिद्ध कांची अती वरदान महोत्सव शुरु हो गया है।

इस अनोखे मंदिर में लोगों की अपार श्रद्धा है। यही वजह है कि भगवान अति वरदार भले ही 40 वर्ष तक जल समाधि में रहते हों, लेकिन पूरे साल इस मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है। इससे पहले वर्ष 1979 में भगवान अति वरदान ने मंदिर के पवित्र तालाब से बाहर आकर भक्तों को दर्शन दिए थे। 40 वर्ष बाद जब भगवान अति वरदार मंदिर के पवित्र तालाब से बाहर निकलते हैं, तो उनके दर्शनों के लिए देशी-विदेशी भक्तों का हुजुम उमड़ पड़ता है। बुधवार को जब भगवान अति वरदार की मूर्ति को पवित्र तालाब से बाहर निकाला गया, वहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

भगवान अति वरदार की मूर्ति को पवित्र तालाब से बाहर निकालने के बाद दर्शन के लिए मंदिर के वसंत मंडपम में रखा गया था। यहां तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित संग मंदिर के पुजारियों की मौजूदगी में हजारों श्रद्धालुओं ने उनकी पूजा-अर्चना की। मूर्ति के शुरूआती दर्शन करने वालों में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित भी शामिल रहे। इस दौरान मूर्ति को फूल-माला के साथ भव्य यात्रा निकालकर मंदिर के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया।

 

प्रशासन ने की व्यापक व्यवस्था

40 साल में एक बार होने वाले भगवान अति वरदार के दर्शन के दौरान भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासन की तरफ से खास व्यवस्था की गई है। बहुत ज्यादा भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से मंदिर में सुरक्षित प्रवेश और निकास की व्यवस्था की गई है।

केवल 48 दिन कर सकेंगे दर्शन

भगवान अति वरदार बुधवार (तीन जुलाई 2019) को जल समाधि से बाहर निकले हैं। अगले 48 दिनों तक भगवान श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। 19 अगस्त को भक्तों को अंतिम दर्शन देने के बाद भगवान अति वरदार 20 अगस्त को दोबारा मंदिर के पवित्र तालाब में जल समाधि ले लेंगे। इसके बाद इनके दर्शनों के लिए फिर 40 साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में मान्यता है कि बहुत किश्मत वाले लोग ही इनके दर्शन कर पाते हैं। यही वजह है कि भगवान अति वरदार के दर्शनों के लिए विदेशों से भी लोग खिंचे चले आते हैं।

 

150 व्हील चेयर और 10 बैट्री कार की व्यवस्था

श्रद्धालुओं को भगवान अति वरदान के दर्शन में किसी तरह की दिक्कत न हो इसलिए प्रशासन की तरफ से यहां 150 व्हील चेयर और 10 बैट्री कार की व्यवस्था की गई है। भगवान के दर्शन के लिए यहां लोगों को पास जारी किए जा रहे हैं। यहां मुफ्त दर्शन के अलावा 50 से 500 रुपये तक के दर्शन टोकन भी जारी किए जा रहे हैं। इसके तहत लोगों को दर्शन की अलग-अलग सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। 500 रुपये का सबसे महंगा टोकन वीआईपी दर्शन के लिए है। इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो बैगेज स्कैनर लगाए गए हैं। मंदिर की सुरक्षा के लिए कुल 2600 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।

र्ष 1979 में जल समाधि से बाहर आने के बाद भगवान अति वरदार की मूर्ति का फोटो।

भगवान की जल समाधि की हैं कई कहानियां

भगवान अति वरदार मंदिर के पवित्र तालाब में 40 साल लंबी जल समाधि क्यों लेते हैं और दर्शन देने के लिए 48 दिन तक ही बाहर क्यों निकलते हैं, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। हालांकि, इसे लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहानी ये है कि वर्षों पहले मंदिर के एक पुजारी को भगवान ने नींद में दर्शन दिए और उनसे कहा कि उन्हें पानी में डाल दिया जाए। दूसरी कहानी ये है कि इस मूर्ति को उस वक्त बनाया गया था, जब मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू हुआ था। जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद मूर्ति को पानी में डाल दिया गया था। भगवान अति वरदार की मुर्ति अंजीर के पेड़ की लकड़ी से बनी हुई है।

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