बिहार

IRCTC घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू को बड़ी राहत

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आइआरसीटीसी घोटाला मामले में बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की पटियाला हाउसकोर्ट ने इस मामले में लालू को अंतरिम जमानत दे दी है। आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में लालू यादव की पेशी हुई और कोर्ट ने लालू को अंतरिम जमानत दे दी।

मालूम हो कि इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट में राबड़ी और तेजस्वी की दो बार पेशी हो चुकी है और  इसमें तेजस्वी और राबड़ी देवी को कोर्ट ने छह दिसंबर को ही अंतरिम जमानत दे दी थी। वहीं आज कोर्ट ने लालू को भी अंतरिम जमानत दे दी है। लालू यादव को अंतरिम जमानत मिलने के साथ ही तेजस्वी और राबड़ी देवी समेत अन्य आरोपियों की अंतरिम जमानत 19 जनवरी तक बढ़ा दी गई है। 

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंचे और कोर्ट में पेश हुए। लालू फिलहाल चारा घोटाला मामले में रांची के होटवार जेल में बंद हैं और तबीयत खराब होने की वजह से उनका इलाज रांची के रिम्स अस्पताल में चल रहा है। 

इधर, रिम्स में बुधवार को लालू प्रसाद के स्वास्थ्य की जांच की गयी, जिसमें उनका शुगर लेवल व ब्लड प्रेशर सामान्य पाया गया था। आज भी कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में पेशी के दौरान लालू का स्वास्थ्य सामान्य रहा।

विदित हो कि 19 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में तबीयत खराब होने की वजह से लालू कोर्ट में पेश नहीं हो सके थे। जज ने अगली सुनवाई के दौरान लालू को 20 दिसंबर को पेश होने का आदेश दिया था। 

जानिए क्या है रेलवे टेंडर घोटाला मामला….

वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल के रखरखाव आदि के लिए आईआरसीटीसी को स्थानांतरित किया था। सीबीआई के मुताबिक, नियम-कानून को ताक पर रखते हुए रेलवे का यह टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दे दिये गये थे।

आरोप के मुताबिक, टेंडर दिये जाने के बदले 25 फरवरी, 2005 को कोचर बंधुओं ने पटना के बेली रोड स्थित तीन एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड को बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत ज्यादा थी।

जानकारी के मुताबिक, इस जमीन को कृषि जमीन बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेच कर स्टांप ड्यूटी में गड़बड़ी की गयी थी और बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी संपत्ति लालू प्रसाद की पारिवारिक कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपये में ही दे दी गयी, जबकि उस समय बाजार में इसकी कीमत करीब 94 करोड़ रुपये थी। 

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