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प्रदेशभर में लागू हो सकता है कोरोना नियंत्रण का बुरहानपुर मॉडल :-

आने वाले कुछ दिनों में कोरोना नियंत्रण का बुरहानपुर मॉडल प्रदेशभर में लागू हो सकता है। जिले में कोरोना को काबू करने के लिए अपनाए गए उपायों का अध्ययन करने गुरुवार को स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल की अगुवाई में एक दल बुरहानपुर पहुंचा। कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में दोपहर करीब दो बजे से शुरू हुई बैठक के दौरान टीम के सदस्यों ने प्रोजेक्टर के जरिए एक-एक बिंदु की जानकारी ली। कलेक्टर प्रवीण सिंह की गैरमौजूदगी में नेपानगर एसडीएम विशा माधवानी ने प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि शुरूआती दौर से किस तरह संक्रमण फैलने वाले सभी रास्तों को बंद किया गया और कोरोना संक्रमितों की पहचान कर किस तरह उनका इलाज किया गया। बैठक में अपर कलेक्टर कैलाश वानखेड़े, एसडीएम काशीराम बडोले, सीएमएसओं डॉ गर्ग, सिविल सर्जन शकील अहमद खान सहत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

बुरहानपुर : प्रदेशभर में लागू हो सकता है कोरोना नियंत्रण का बुरहानपुर मॉडल

स्वास्थ्य आयुक्त ने कोरोना नियंत्रण को लेकर बुरहानपुर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए काम की सराहना करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सीमा से लगे होने के बावजूद जिस तरह यहां कोरोना संक्रमण को काबू करने में सफ लता मिली है वह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। हम इसी बात का अध्ययन करने आए हैं कि यह सफलता कैसे हासिल की गई। उन्होंने कहा कि यहां अपनाए गए उपायों को अन्य जिलों की परिस्थिति के आधार पर वहां भी अपनाया जा सकता है। यहां से लौटने के बाद सभी बिंदुओं पर प्रमुख सचिव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक में चर्चा होगी। इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा।

जिले के लिए गौरव का विषय :

प्रदेश सरकार यदि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश में बुरहानपुर मॉडल लागू करती है तो यह जिले के लिए गौरव का विषय होगा क्योंकि इस काम के लिए न सिर्फ कलेक्टर प्रवीण सिंह की दूरदृष्टि और ठोस रणनीति, स्वास्थ्य, पुलिस, नगर निगम अमले के साथ ही आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत की थी, बल्कि जिले के लोगों ने प्रशासन को पूरा सहयोग देकर कोरोना को मात देने में अपना योगदान दिया है।

इन उपायों से कोरोना को दी मात :

स्वास्थ्य आयुक्त को प्रेजेंटेशन के दौरान बताया गया कि कोरोना को मात देने के लिए सबसे पहले मई में सैंपलिंग बढ़ाई गई। जिससे कोरोना संक्रमित अधिकांश मरीज सामने आ गए और उन्हें कोविड केयर सेंटरों में रखकर संक्रमण फैलने से रोका गया। इसके बाद घर-घर सर्वे कर संदिग्धों की पहचान और जांच की गई। महाराष्ट्र सीमा से सबसे ज्यादा संक्रमण फैलने के कारण पड़ोसी राज्य की सीमाओं को सील कर लोगों के आवागमन पर रोक लगाई गई। इसके साथ ही जिले के सभी डॉक्टरों, मेडिकल स्टोर्स को सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों के इलाज के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। ऐसे मरीजों के इलाज के लिए फीवर क्लीनिक खोले गए, जहां मरीजों की कोविड जांच की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई थी। इसके अलावा बाहर से आने वाले लोगों की जांच, होम आइसोलेट करना, उनकी मॉनीटरिंग, कंटेनमेंट क्षेत्रों में कड़ी निगरानी और लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया गया। जिसके चलते धीरे-धीरे कोराना मरीजों की संख्या घट गई।

इस तरह घटा संक्रमण :

कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में बुरहानपुर प्रदेश के सबसे ज्यादा संक्रमित पांच शहरों में से एक था। मार्च और अप्रैल माह में पूर्व कलेक्टर द्वारा संदिग्धों की जांच के लिए विशेष प्रयास नहीं किए गए थे। जिसके चलते अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सिर्फ एक मरीज सामने आया था। मई में पूर्व कलेक्टर राजेश कौल को हटाकर प्रवीण सिंह को जिले की कमान सौंपी गई। जिसके बाद सैंपलिंग में तेजी आने से मई में एकसाथ 304 कोरोना मरीज सामने आ गए। इसके बाद जून में 98, जुलाई में 81, अगस्त में 83 और सितंबर 151 मरीज सामने आए। अक्टूबर से यह संख्या फि र घटना शुरू हुई। अक्टूबर में सिर्फ 69 और नवंबर में अब तक कुल 17 मरीज ही सामने आए हैं। स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल ने गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद महाराष्ट्र सीमा पर स्थापित लोनी चेकपोस्ट और जिला अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड भी देखा। उन्होंने चेकपोस्ट में तैनात कर्मचारियों से बातचीत कर पूछा कि वे सिर्फ आने वालों की जांच ही कर रहे हैं या जाने वालों की भी करते हैं। जिस पर कर्मचारियों ने बताया कि आने वालों के संक्रमित होने की संभावना ‘यादा होती है, इसलिए उनकी जांच की जा रही है। जिला अस्पताल के साफ सुथरे और सारी व्यवस्थाओं से लैस आइसोलेशन वार्ड की स्वास्थ्य आयुक्त ने तारीफ की है। उन्होंने जिले में किए गए उपायों को भी बेहतर माना।

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