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निर्मला सीतारमणः पहले रैफेल अब आर्थिक मंदी मुख्य मुद्दा है ?

प्रदीप द्विवेदी (ऐस्ट्रोपाॅलिटिकल एनालिसिस). कुछ तो किस्मत कनेक्शन है, जब निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री थीं, तब राफेल का मुद्दा गर्म था और अब वित्त मंत्री हैं| तो आर्थिक मोर्चे पर लगातार लोग सवालों का निशाना लगा रहे हैं|

राहुल राफेल का मुद्दा समझना ही नहीं चाहते -निर्मला सीतारमण

कांग्रेस ने तो बाकायदा उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है| कांग्रेस पार्टी ने जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट और बेरोजगारी को लेकर सरकार पर देश को आर्थिक आपातकाल की तरफ धकेलने का आरोप लगाया और कहा कि इस ‘आर्थिक तबाही’ के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए|

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खबर है कि पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का यह भी कहना है कि मौजूदा हालात में सरकार के भीतर ‘बड़ी राजनीतिक और वित्तीय सर्जरी’ की जरूरत है|

निर्मला सीतारमन भारत की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री रही हैं| हालांकि इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए अतिरिक्त कार्यभार के रूप में यह मंत्रालय जरूर संभाला था|

सितारों के समीकरण पर भरोसा करें, तो बुध की महादशा ने निर्मला सीतारमण को सियासी सफलता दी है. उनकी प्रचलित कुंडली कहती है कि वर्ष 2020-21 उनके लिए बड़ी चुनौतियां लेकर आया है और विरोधियों के कारण कई सियासी समस्याएं परेशान कर सकती हैं|

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हालांकि, सितंबर-अक्टूबर 2020, इतनी उलझने नहीं देंगे, किन्तु नवंबर-दिसंबर 2020 में बेहद सतर्क रहना होगा, क्योंकि विरोधी उलझाने की कोशिश करेंगे. यही नहीं, स्वयं और घर-परिवार के सदस्यों की सेहत-सुरक्षा को लेकर भी सावधानी रखनी होगी.

जनवरी- 2021 में कुछ हालात सुधरते नजर आएंगे, परन्तु फरवरी-मार्च 2021 का समय फिर से उलझने खड़ी कर सकता है. इस समय के दौरान भी सेहत के मोर्चे पर ध्यान देने की जरूरत रहेगी|

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वर्ष 2021 में अप्रैल के पहले सप्ताह से सितारे करवट बदलेंगे और समस्याओं का जाल कटने लगेगा. आर्थिक तनाव से मुक्ति भले ही नहीं मिले, परन्तु आर्थिक राहत के नए रास्ते नजर आएंगे.

बावजूद इसके, आगे का सियासी सफर आसान नहीं रहेगा. वर्ष 2021-22 भी परीक्षा लेता रहेगा, यदि इससे पार पा लिया, तो वर्ष 2022 के उतरार्ध से अच्छे दिन आ सकते हैं|

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उल्लेखनीय है कि निर्मला सीतारमण इस वक्त देश की वित्त मन्त्री हैं. वे सितम्बर 2017 से मई 2019 तक रक्षा मन्त्री थीं और उससे पहले वे भारत की वाणिज्य और उद्योग (स्वतंत्र प्रभार) तथा वित्त व कारपोरेट मामलों की राज्य मंत्री थी. वे बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुकी हैं.

अगले दो वर्ष यदि वे चुनौतियों का सामना करने में कामयाब रहीं, तो 2022 के उतरार्ध से उनकी सफलता का परचम लहराएगा|

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