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वर्ष 2018-19 में राज्यों को पेट्रोलियम उत्पादों से कुल 2,30,130 करोड़ रुपये का रेवेन्यू आया था जो उससे पिछले वर्ष के मुकाबले 13 फीसद ज्यादा था। इस रेवेन्यू में सबसे बड़ा योगदान पेट्रोल व डीजल से बिक्री कर वसूली का है। अभी पेट्रोल पर राज्यों की तरफ से 17-36 प्रतिशत बिक्री कर या वैट वसूला जाता है, जबकि डीजल पर यह दर 8-18 प्रतिशत तक है।

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान भी लंबे अरसे से पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की मांग कर चुके हैं। प्रधान पिछले एक वर्ष के दौरान करीब दर्जनभर मौकों पर उम्मीद जता चुके हैं। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर चुके हैं। लेकिन मौजूदा हालात में उनकी मांग पूरी होने की दूर-दूर तक गुंजाइश नहीं दिख रही है।

अभी जबकि राज्यों के गैर-पेट्रोलियम उत्पादों से होने वाले राजस्व में भारी कमी हो रही है, तब उन्हें पेट्रोलियम उत्पादों से हो रहे रेवेन्यू से ही मदद मिल रही है। अप्रैल-जून में राज्यों को पेट्रो उत्पादों से मिले 51,600 करोड़ राजस्व में पेट्रोल, डीजल, एटीएफ व गैस की राशि 46,176 करोड़ रुपये की थी।

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