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हमीरपुर में जैविक खेती के विकास की योजना का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने जनपद हमीरपुर में जैविक खेती के विकास की योजनान्तर्गत द्वितीय चरण (वर्ष 2020-21 से 2022-23) के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सेक्टर से ‘जनपद हमीरपुर में जैविक खेती की योजना’ के 03 वर्षीय कार्यक्रम के प्रथम चरण का कार्य वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 में संचालित किया गया।

योजना के द्वितीय चरण का 03 वर्षीय कार्यक्रम वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक पुनः प्रस्तावित किया जा रहा है, जिस पर 14.28 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की जाएगी। योजना से किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादित जैविक कृषि उत्पादों के विपणन की व्यवस्था में रोजगार सृजन भी बढ़ेगा तथा कृषि की लागत मंे कमी आएगी।

द्वितीय चरण (वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक) में जनपद हमीरपुर के सभी सात विकास खण्डों में 20 क्लस्टर प्रति विकास खण्ड कुल 140 क्लस्टर में जैविक खेती के विकास की योजना तथा समस्त 07 विकास खण्डों में 700 हे0 प्रति विकास खण्ड, इस प्रकार कुल सभी 07 विकास खण्डों में 4,900 हे0 क्षेत्रफल में जीरो बजट प्राकृतिक खेती की योजना प्रस्तावित है।

जैविक खेती कृषि की यह पद्धति है, जिसमें पर्यावरण को स्वच्छ एवं प्राकृतिक संतुलन को कायम रखते हुए भूमि जल एवं वायु को प्रदूषित किए बिना दीर्घकालीन व स्थिर उत्पादन प्राप्त किया जाता है। इस पद्धति में रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है।

यह पद्धति रसायनिक कृषि की अपेक्षा सस्ती स्वावलम्बी एवं स्थायी है। जैविक खेती से लक्षित उत्पादन प्राप्त करते हुए प्रकृति की सम्पदा, मृदा जीवांश, जल, वायुमण्डल के जीवों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है तथा मानव स्वास्थ्य पर रसायनों से पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

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