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World Cancer Day 2020 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ बना कैंसर ट्रीटमेंट का हब

बतादे की देश में कैंसर बढ़ रहा है। यूपी में भी मरीजों की भरमार है। ऐसे में सर्जरी, रेडियोथेरेपी को लेकर वेटिंग है। इस बीच राहत की बात है कि गत दो वर्षों में राजधानी में कैंसर के इलाज से जुड़ी सुविधाओं में इजाफा हुआ। ऐसे मे लखनऊ कैंसर ट्रीटमेंट का हब बनकर उभरा है। दूसरी ओर बुंदेलखंड में सुविधाएं बढ़ाने पर जोर देना होगा।

लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मधुप रस्तोगी की ‘कैंसर ट्रीटमेंट फैसिलिटी इन यूपीÓ पर आई रिपोर्ट ऐसा ही कह रही है इसमें उन्होंने यूपी के पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्य व बुंदेलखंड के हिस्सों में सरकारी व निजी क्षेत्रों में कैंसर के इलाज की व्यवस्था का आकलन किया। लखनऊ-वाराणसी के आंकड़ें सुखद मिले बता दे की ये दोनों शहर कैंसर मरीजों के लिए राहत बनकर उभरे दिख रहे हैं।

लखनऊ में जहां 2017-18 में लोहिया में दो, केजीएमयू में एक, पीजीआइ में एक, प्राइवेट में एक लीनेक मशीन थी। वहीं 2019-20 में लोहिया संस्थान में तीन, पीजीआइ में दो, कैंसर संस्थान में एक व प्राइवेट में एक और लीनेक मशीन हो गई। ऐसी ही कानपुर में प्राइवेट में एक, वाराणसी में ट्रस्ट के हॉस्पिटल में तीन मशीनें लीनेक की बढ़ीं। लखनऊ में वर्ष के अंत में तीन मशीनें और बढ़ेंगी।

ऐसे में राज्य की 22 करोड़ से अधिक आबादी के इलाज के लिए 220 कोबाल्ट व लीनियर एक्सीलरेटर मशीनें होनी चाहिए। वहीं, वर्तमान में सिर्फ 47 मशीनें कोबाल्ट एवं लीनियर एक्सीलरेटर हैं। ये मशीनें कैंसर के मरीज में बाहर से रेडिएशन देने में काम आती हैं। वहीं 19 ब्रैकीथेरेपी की मशीनें हैं, मगर इनका प्रयोग काफी कम होता है।

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