उत्तराखंड

युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जगा रहे रिटायर्ड कैप्टन चंद्र सिंह

सेना मेडल से सम्मानित जौनसार के दुधौऊ निवासी रिटायर्ड कैप्टन चंद्र सिंह चौहान ग्रामीण युवाओं को भविष्य संवारने के साथ देशभक्ति की अलख जगा रहे हैं। घर-परिवार की जिम्मेदारी देख रहे रि. कैप्टन ने बीते दो साल में चार सौ से ज्यादा ग्रामीण नौजवानों को सेना में भर्ती होने का निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया है। इनकी पाठशाला में युवाओं को अनुशासन में रहने की सीख दी जाती है।

रिटायर्ड होने के बाद घर-परिवार की जिम्मेदारी देख रहे सेवानिवृत्त कैप्टन सीएस चौहान ने सेना में जाने के इच्छुक ग्रामीण युवाओं को जागरूक करने का बीड़ा उठाया। युवाओं में जागरूकता लाने को रि. कैप्टन ने बीते दो साल में चार सौ से ज्यादा नौजवानों को सेना में भर्ती के लिए निश्शुल्क प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की। रि. कैप्टन शिविर में आए युवाओं को अनुशासन में रहने के साथ भविष्य संवारने की सीख दे रहे हैं।

कहा नशे के बढ़ते चलन से कई नौजवानों का भविष्य बर्बाद हो गया। रि. कैप्टन ने कहा युवाओं को सही राह दिखाने से देशभक्ति का भाव जगाना होगा, इससे रोजगार के लिए भी युवाओं को दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा। सेना में अपना कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को चंद्र सिंह उच्च स्तर की ट्रेनिंग देते हैं और सेना भर्ती के लिए तैयार करते हैं। 

वीरता के पर्याय रहे चंद्र सिंह 

जौनसार के खत बाना अंतर्गत दुधौऊ निवासी सेवानिवृत्त कैप्टन चंद्र सिंह चौहान का जीवन संघर्षपूर्ण रहा। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले चंद्र सिंह वर्ष 1982 को सेना में भर्ती हुए। लैंसडौन में प्रशिक्षण लेने के बाद वर्ष-1983 में वह 13 गढ़वाल राइफल्स में शामिल हुए। इस दौरान पंजाब में आतंकवाद चरम पर होने से स्वर्ण मंदिर आतंकियों के निशाने पर था। भारत सरकार के ब्ल्यू स्टार ऑपरेशन में शामिल हुए सीएस चौहान ने वीरता का परिचय देकर आतंकियों को खदड़ने में अहम भूमिका निभाई।

इसके अलावा वह वर्ष-1985 में असम, नागालैंड, मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट व उल्फा, बोडो आतंकियों के विरुद्ध चले सेना के ऑपरेशन में शामिल रहे। वर्ष 1987 में सरकार के शांति रक्षक सेना में उनका चयन होने से वह श्रीलंका मिशन पर गए। जहां एलटीटी ने भारतीय सेना पर जमकर गोलाबारी की। जिसमें उन्होंने अपनी यूनिट के साथ जबावी कार्रवाई में आतंकियों को मार गिराया। 

दिसबंर 1990 को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर व गांधरबल इलाके में आतंकियों के शिविर की सूचना मिलने पर चार्ली कंपनी 13 गढ़वाल राइफल्स ने इलाके की घेराबंदी कर सर्च आपरेशन चलाया। इस आपरेशन में हवलदार चंद्र  सिंह चौहान को एक सेक्शन की कमान सौंपी गई। गोलाबारी में आतंकियों ने एक हथगोला सेना की टुकड़ी पर फेंक दिया। हवलदार सीएस चौहान ने अपनी जान की परवाह किए बिना सूझबूझ से उसी ग्रेनेड को वापस आतंकियों के शिविर में फेंक दिया, जिसमें पांच आंतकवादी मारे गए।

इस बहादुरी के लिए उन्हें वर्ष-1999 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया। सेना में इंस्ट्रक्टर की भूमिका निभाने वाले सीएस चौहान ने वर्ष 2003 में भूटान आर्मी को प्रशिक्षण दिया। वर्ष 2005 को केरल में एनसीसी इंस्ट्रक्टर की सेवा देने के साथ उन्होंने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारतीय सेना में अहम सहयोग दिया। सेना में लंबी सेवा के बाद वर्ष-2010 में वे ऑनरेरी कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए।

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