Sorry, you have been blocked

You are unable to access kutoto.sbs

Why have I been blocked?

This website is using a security service to protect itself from online attacks. The action you just performed triggered the security solution. There are several actions that could trigger this block including submitting a certain word or phrase, a SQL command or malformed data.

What can I do to resolve this?

You can email the site owner to let them know you were blocked. Please include what you were doing when this page came up and the Cloudflare Ray ID found at the bottom of this page.

LIVE TVMain Slideउत्तर प्रदेशखबर 50देशधर्म/अध्यात्मप्रदेशबड़ी खबरसाहित्य

भगवान गणेश की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ

सनातन धर्म में बुधवार का दिन महादेव के पुत्र गणपति बप्पा को बेहद को प्रिय है। इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से बुध देव प्रसन्न होते हैं। बुध देव की कृपा से साधक को कारोबार में लाभ मिलता है और जीवन में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन खुशहाल होता है।

बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह गणपति की पूजा करें। इसके बाद अन्न और धन का दान करें। मान्यता है कि बुधवार के दिन दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में इस दिन आप ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र का पाठ कर गणेश जी को प्रसन्न कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इसका पाठ करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और रुका हुआ धन मिलता है। साथ ही मन को शांति मिलती है।

॥ ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम् ॥

॥ विनियोग ॥
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य
शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता
अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।

॥ स्तोत्र पाठ ॥
ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।
षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥

महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।
एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥
एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।
महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥
शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।
सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥
रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।
रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।
कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥
पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।
पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥
सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।
सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥
एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥
सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥
॥ इति रुद्रयामले ऋणमुक्ति श्री गणेशस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
भगवान गणेश के मंत्र
‘गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।
ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात ।।
ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लींहीं श्रीं गं गणपतये
वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा ।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्‍महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रेय
सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्वाजाय वश्यकर्णाय
सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा..!!

Related Articles

Back to top button