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मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए जरूरी है अपने अंदर के बचपन को जिंदा रखना

लाइफ में जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे अंदर एक बनावटीपन ज्यादा आने लगता है. हम सलाह या शिष्टाचार पर बहुत ज्यादा ध्यान देने लगते हैं और लाइफ की छोट-छोटी चीजों का आनंद लेना बंद कर देते हैं.

हमें ये चिंता सताने लगती है कि अगर हम अपने मन का ये काम करेंगे, तो इससे लोग क्या सोचेंगे? साधारण भाषा में कहें तो हम अपने अंदर के बच्चे को मार देते हैं. हिंदुस्तान अखबार में छपे एक कॉलम में हो ‘ओपोनोपोनो एक्सपर्ट डॉ करिश्मा आहूजा ने लिखा है

कि हमारे बड़े होने के साथ ही हम लाइफ के गंभीर हिस्से में आ जाते हैं. इसी कारण हम सहज होना और मजे करना भूल जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने भीतर के बच्चे को जीवित रखना हमारी सेहत के लिए कितना जरूरी है ?

डॉ करिश्मा ने इसी को लेकर कुछ टिप्स दिए हैं. उनका कहना है कि हमारे लिए अच्छी बात ये है कि हम किसी भी उम्र में अपने भीतर के बच्चे को फिर से जगा सकते हैं. इसके लिए आपको बहुत अलग होने की जरूरत नहीं है.

बस आपको अपने भीतर के बच्चे के नक्शे कदम पर चलना याद रखना होगा. जब आप ऐसा करते हैं तो अपनी कल्पना का उपयोग आज अपने जीवन में जो रहा है, रोकने या हटाने के लिए कर सकते हैं.

बच्चे स्वभाव से ही बहुत जिज्ञासु होते हैं. अगर वे कुछ नया देखते हैं, तो वे उसका अनुभव करना चाहते हैं. उनके पास अपने निर्णयों का आधार बनाने के लिए कोई पिछला अनुभव नहीं है, इसलिए वो ये पता लगाने के लिए सवाल पूछते हैं कि चीजें कैसे काम करती हैं?

तो आप भी बच्चे की तरह अपनी लाइफ के बारे में जानने के लिए अधिक उत्सुक हों. एक बच्चे की तरह नए विचार बनाएं. अपने आप से या दूसरों से ऐसे सवाल पूछें, जो उन विचारों को उत्पन्न करने में मदद करें, जो आपके लिए नए अनुभवों का माध्यम बनेंगे, हर दिन कुछ नया सीखने का लक्ष्य रखें.

बच्चे खुद को परेशान या अपनी ऊर्जा बर्बाद नहीं करते कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं. इसलिए वे बहुत रचनात्मक और सजग होते हैं. उनमें कोई दिखावा नहीं होता. लेकिन विडंबना ये है कि वह व्यक्ति जो आपको लगता है कि आपकी जज कर रहा है,

वो भी असल में चिंतित है कि कोई और उसे जज कर रहा है. इसलिए जब आपको लगे कि आपको आंका जा रहा है, तो अपने आप को हर हाल में याद दिलाएं कि आपको हर हाल में आंका जाएगा ही, तो क्यों ना वो काम करें जो आप करना चाहते हैं? दूसरे क्या सोचेंगे इस सोच का त्याग दें, ये आपको प्रेमपूर्ण और सकारात्मक मानसिकता देगी.

बच्चे साहसी होते हैं, उन्हें कोई डर नहीं है और वे बड़े रिस्क लेने वाले होते हैं. इसलिए वो चलने, दौड़ने, चीजों के साथ खेलने, अजनबियों के साथ बातचीत शुरू करने की कोशिश करते रहते हैं. भले ही वे ये नहीं जानते कि ये उनके लिए कैसे होगा.

हम निश्चित रूप से रिस्क उठाए बिना या कुछ अलग किए बिना सीख नहीं सकते या पूरी तरह से जी नहीं सकते हैं. इसलिए यदि आपके पास कुछ विचार हैं या आप उनके बारे में भीतर से आश्वस्त हैं, तो बहादुर बनें.

यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप वहीं रहेंगे, जहां आप हैं. लेकिन अगर आप उस पर कुछ काम करते हैं तो आप अपने सपनों का जीवन जीएंगे.आपको बता दें कि हो ‘ओपोनोपोनो क्षमाशीलता पर आधारित प्राचीन जीवन दर्शन है.

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