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MP के इस इलाके में BJP को पछाड़े बिना कांग्रेस के सत्ता का वनवास नहीं होगा खत्म

मध्य प्रदेश के दिल में बसे मालवा और मध्य क्षेत्र के पास राज्य के सत्ता की चाबी है. इस क्षेत्र को जीते बिना सत्ता के सिंहासन तक नहीं पहुंचा जा सकता है. यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश में 15 साल के सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए मालवा क्षेत्र में चुनावी बिगुल फूंकेंगे.

राहुल गांधी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ इलाके दो दिवसीय दौरे पर पहुंच रहे हैं. इस इलाके पर बीजेपी की जबर्दस्त और मजबूत पकड़ है. कांग्रेस के लिए इस इलाके में बीजेपी को मात दिए बगैर सत्ता में वापसी संभव नहीं है.

मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटें में से मालवा और मध्य क्षेत्र में 86 सीटें है. कांग्रेस के लिए असल चुनाती इन्हीं दोनों इलाके के उज्जैन, इंदौर और भोपाल सहित 10 बड़े जिलों की सीटें हैं.

2013 के विधानसभा चुनाव में इन 86 सीटों में से कांग्रेस महज 10 सीटें ही जीत सकी थी.  इन दोनों क्षेत्रों में बीजेपी 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब रही थी. मालवा क्षेत्र में 50 सीटों में से बीजेपी के पास 45 सीटें है. जबकि कांग्रेस के पास महज चार सीटें हैं. मालवा क्षेत्र में बीजेपी के पास दो बड़े कद्दावर नेता हैं, इनमें इंदौर से कैलाश विजयवर्गीय और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की मजबूत पकड़ है.

हालांकि, बीजेपी का ये दुर्ग दरकता हुआ नजर आ रहा है. पिछले साल मालवा इलाके के मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में कई किसानों की मौत हो गई थी.  इसके लेकर कांग्रेस को इस क्षेत्र में अपनी उम्मीद नजर आ रही है. इसके अलावा उज्जैन इलाके में सवर्ण जातीय की नाराजगी भी बेजेपी के लिए नई मुसीबत बनी हुई है.

मालवा इलाका काफी धार्मिक क्षेत्र माना जाता है. मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से अपनी जन आशिर्वाद यात्रा की शुरूआत की थी. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात की तर्ज पर मध्य प्रदेश के हर दौरे में एक न एक प्रमुख मंदिर जाकर माथा टेक रहे हैं.

राहुल के सॉफ्ट हिंदुत्व की राह अपनाने से कांग्रेस की हिंदुवादी विरोधी छवि को तोड़ने में काफी मददगार साबित हो रहा है. गुजरात में कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला है. यही वजह है कि राहुल मध्य प्रदेश में मंदिर जाने का सिलसिला जारी रखा.

बीजेपी से उच्च जातियों की नारजगी और बसपा से गठबंधन का न होने से कांग्रेस को लगता है कि ब्राह्मण मतदाता पार्टी में वापसी कर सकते हैं. राहुल इसी महीने के आखिर में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का भी दौरा करेंगे. जबकि चंबल-ग्वालियर दौरे की शुरूआत उन्होंने मां पिताम्बरा देवी के दर्शन से किया है. इसके अलावा पिछले हफ्ते जबलपुर की यात्रा के दौरान गांधी ने नर्मदा आरती की थी.

राहुल ने चित्रकूट से मध्य प्रदेश का चुनावी बिगुल फूंका था. उन्होंने कमतनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करके विंध्य क्षेत्र में चुनावी अभियान की शुरुआत की थी. कांग्रेस ने उसी मंदिर से भगवान राम द्वारा ‘राम गमन पथ यात्रा’ की 2 अक्टूबर से शुरू की थी. हालांकि प्रशासन ने चुनाव आचार सहिंता के चलते इस यात्रा पर रोक लगा दी थी, लेकिन ये यात्रा अपना संदेश देने में सफल रही थी.

बीजेपी के मजबूत किले को धराशाही करने के लिए कांग्रेस नेता आपसी मतभेदों को भुलाकर इन दिनों एक नजर आ रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक साथ नजर आ रहे हैं. कांग्रेस अगर उम्मीदवारों के चयन में भी एकमत बनाए रखती है, तो फिर बीजेपी की मुश्किलों भरी हो जाएगी.

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